Girl fired for shoe : 20 साल की एलिजाबेथ बेनासी, जो मैक्सिमस यूके सर्विसेज में सबसे कम उम्र की कर्मचारी थीं, ने जब कंपनी में काम करना शुरू किया, तो उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि ड्रेस कोड का पालन न करना उनके लिए इतनी बड़ी समस्या बन जाएगा। कुछ ही दिनों बाद, स्पोर्ट्स शूज पहनने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
हालांकि, इस फैसले को अनुचित मानते हुए एलिजाबेथ ने कंपनी के खिलाफ कोर्ट का रुख किया। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब लेबर कोर्ट ने कंपनी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए 29,187 पाउंड (लगभग 32 लाख रुपये) का मुआवजा देने का आदेश दिया।
ड्रेस कोड न जानने पर हुई कार्रवाई
एलिजाबेथ ने अदालत में बताया कि उन्हें कंपनी के ड्रेस कोड के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इसके बावजूद, उन्हें स्पोर्ट्स शूज पहनने पर न केवल फटकारा गया, बल्कि नौकरी से भी निकाल दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके सहकर्मी भी इसी तरह के जूते पहनते थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके विपरीत, भर्ती एजेंसी का कहना था कि एलिजाबेथ को सिर्फ तीन महीने के लिए रखा गया था। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
माइक्रोमैनेज करने और पक्षपात का आरोप
एलिजाबेथ ने दावा किया कि उनके साथ एक बच्चे जैसा व्यवहार किया गया और उन्हें जानबूझकर माइक्रोमैनेज किया गया। कोर्ट ने माना कि कंपनी ने उनकी छोटी-छोटी गलतियों को पकड़ने की कोशिश की और उनके प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया।
कोर्ट का फैसला
साउथ लंदन के क्रॉयडन लेबर कोर्ट ने माना कि कंपनी ने अनुचित तरीके से एलिजाबेथ को टार्गेट किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि उन्हें वास्तव में तीन महीने के लिए ही रखा गया था, तो इसे लिखित रूप से स्पष्ट किया जाना चाहिए था। इस मामले में, कंपनी का रवैया अनुचित और अपमानजनक था।
32 लाख का मुआवजा
नतीजतन, कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वह एलिजाबेथ को 29,187 पाउंड का मुआवजा दे। यह फैसला न केवल युवाओं के अधिकारों को सुरक्षित करता है बल्कि कार्यस्थल पर समानता सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश भी देता है।