Floor Price, बाकी किसानों की तरह चाय के किसान भी परेशान हैं, से धान, गेहूं पर सरकार एमएसपी तय करती है, वैसा ही नियम चायपत्ती के लिए भी लागू करने की मांग की जा रही है. इससे किसानों के हितों की रक्षा हो सकेगी और उन्हें खेती की लागत निकालने के लिए नहीं जूझना पड़ेगा.
किसानों का कहना है कि खेती की लागत प्रतिदिन बढ़ रही है, पर उसके मुताबिक आमदनी नहीं हो रही. साथ ही कई बार चाय की खेती में घर से भी आमदनी लगानी पड़ती है. यानी जितना खर्च होता है, उससे कम ही इनकम मिल पाता है. जिससे किसान परेशान रहते है.
किसानों का कहना है कि जिस तरह खाद्यान्न और तिलहन-दलहन के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP का नियम बनाया है, कुछ वैसा ही चाय की पत्ती (हरी चाय) के लिए भी होना चाहिए. किसान इसे टेक्निकल भाषा में फ्लोर प्राइस कहते हैं.
इस फ्लोर प्राइस का मतलब होगा कि चायपत्ती बनाने वाली कंपनियां या बड़े-बड़े चाय घराने एक निश्चित दाम से नीचे किसान से उसकी उपज नहीं खरीद सकेंगे. इस फ्लोर प्राइस की मांग इंडियन टी एसोसिएशन की तरफ से पुरजोरी से उठाई गई हे.
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इंडियन टी एसोसिएशन के अनुसार चाय का मार्केट चाय के गिरते दाम को संभालने में सक्षम नहीं दिखता. इसका समाधान यही है कि चायपत्ती के लिए फ्लोर प्राइस तय हो. इससे सरकार को भी घाटा नहीं होगा क्योंकि टैक्स आदि का नियम पहले की तरह बना रहेगा.
आईटीएक का कहना है कि सरकार ने इसी तरह का नियम चीनी के लिए बनाया है. इसलिए चायपत्ती के लिए भी फ्लोर प्राइस का नियम तय करने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.