सीवर से निकले गंदे पानी से करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं, ऐसा हम सोच भी नहीं सकते लेकिन सूरत नगर निगम ने ऐसा करके दिखाया है। गटर से निकले पानी को ट्रीट करके एक-दो करोड़ में नहीं बल्कि 140 करोड़ में वहां लगे उद्योगों को बेचा जा रहा है। इससे नगर निगम को रिवेन्यू का लाभ भी मिल रहा है।
मानेसर में आयोजित शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित करते हुए सूरत नगर निगम की कमिश्नर शालिनी अग्रवाल ने यह सक्सेस स्टोरी सभी को सुनाई। उन्होंने बताया कि सूरत विश्व भर में डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है। इसके साथ-साथ यहां बड़े पैमाने पर टेक्सटाइल इंडस्ट्री और सोलर प्लेट की यूनिट भी स्थापित हैं। सूरत शहर से हर रोज बड़ी मात्रा में पानी इस्तेमाल किया जाता है। गंदा पानी सीवरेज के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। 115 एमएलडी क्षमता के तीन ट्रीटमेंट प्लांट इस पानी को ट्रीट करते हैं और इस शहर के उद्योगों को भेजा जाता है। इससे करीब 140 करोड़ रुपये के रिवेन्यू का लाभ मिलता है।
अभी महज 33 प्रतिशत पानी ट्रीट किया जा रहा भविष्य में 450 करोड़ का रिवेन्यू लेने का लक्ष्य
नगर निगम की कमिश्नर शालिनी अग्रवाल ने बताया कि अभी शहर से निकलने वाले महज 33 प्रतिशत पानी को ट्रीट किया जा रहा है। भविष्य में इसे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2030 में 70 प्रतिशत और 2035 तक 100 प्रतिशत गंदे पानी को ट्रीट करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे 450 करोड़ रुपये का रिवेन्यू प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि ट्रीटेड पानी को न केवल उद्योगों बल्कि कंस्ट्रक्शन के कार्य में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस पानी को टैंकर के माध्यम से कंस्ट्रक्शन साइट तक भेजा जाता है।
महज एक क्लिक से कंस्ट्रक्शन वेस्ट का मैनेजमेंट
नगर निगम की कमिश्नर शालिनी अग्रवाल ने बताया कि शहर में इंटिग्रेटिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। महज एक क्लिक करके कोई भी कंस्ट्रक्शन वेस्ट को वेस्ट प्रोसेसिंग प्लॉट तक भेज सकता है। जैसे ही कोई ऑनलाइन रिक्वेस्ट डालेगा यूनिट से कंस्ट्रक्शन वेस्ट उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि पांचवे नेशनल वॉटर डे पर सूरत नगर निगम को सम्मानित भी किया जा चुका है। सूरत नगर निगम आम नागरिकों के लिए निरंतर बेहतर कार्य कर रहा है।