पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार को बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) फटकार मिलने के बाद बुधवार को बाबा रामदेव ने एक बार फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को लेकर अखवारों में एक और माफीनामा प्रकाशित करवाया है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि की तरफ से माफी मांगी गई है। मंगलवार को भी इस तरह का माफीनामा सामने आया था, जिसे देश भर के 67 समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अप्रैल) को सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या माफीनामा को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। क्या इसके फॉन्ट और साइज आपके पुराने विज्ञापनों की तरह थे। पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उन्होंने 67 अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया है। जिस पर जस्टिस कोहली ने पूछा कि क्या यह आपके पिछले विज्ञापनों के समान आकार का था। अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है।
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान रामदेव को आदेश दिया था कि वह बड़े साइज में पतंजलि माफीनामे का विज्ञापन फिर से जारी करें।
माफीनामे में योग गुरु बाबा रामदेव और बालकृष्णा ने बगैर शर्त सार्वजनिक माफी’ के शीर्षक के साथ कहा , ‘माननीय शीर्ष न्यायालय में चल रहे मामले के मद्देनजर हम भारत के माननीय उच्चतम न्यायालयों के निर्देशों/आदेशों की अवज्ञा या पालन नहीं करने के चलते व्यक्तिगत रूप के साथ-साथ कंपनी की ओर से सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हैं।’
’22 नवंबर 2023 को प्रेस कॉन्फ्रेंस/मीटिंग के लिए हम बगैर शर्त माफी मांगते हैं। विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए हम माफी मांगते हैं और वादा करते हैं कि ऐसी गलतियां दोबारा नहीं होंगी। हम माननीय अदालत के निर्देशों और आदेशों के ध्यान और गंभीरता के साथ पालन करने का वचन देते हैं। हम न्यायालय की गरिमा की बनाए रखने और माननीय न्यायालय/ अथॉरिटी के निर्देशों और कानूनों का पालन करने का वादा करते हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। इस अर्जी में कहा गया था कि पतंजलि की ओर से अपनी दवाओं के बारे में गलत दावे किए जा रहे हैं। उसके प्रचार इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में चल रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने ऐसे कई विज्ञापनों का उदाहरण भी सुप्रीम कोर्ट में दिया था, जिनमें एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और उसके डॉक्टरों को कमतर बताया गया था। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण पर सुनवाई चल रही है। अब मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.