Study On Middle Child: समाज में अक्सर यह धारणा बन जाती है कि घर के बड़े बच्चे पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी होती है जबकि छोटे बच्चे को ‘बिगड़ैल’ माना जाता है। वहीं मिडिल चाइल्ड या मध्य बच्चे को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। हाल ही में एक अध्ययन ने मिडिल चाइल्ड्स के व्यवहार पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है जिससे कई दिलचस्प तथ्यों का खुलासा हुआ है।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
ब्रॉक यूनिवर्सिटी के कनाडाई रिसर्चर माइकल एश्टन और कैलगरी यूनिवर्सिटी के किबोम ली ने मिडिल चाइल्ड के व्यवहार पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में पाया गया कि मिडिल चाइल्ड अपने बड़े और छोटे भाई-बहनों की तुलना में अधिक ईमानदार, विनम्र और सहमतिपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, मिडिल चाइल्ड में भावनात्मक नियंत्रण, समझौता करने, और सहयोग की क्षमता भी अधिक होती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
ऑस्ट्रियाई मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड एडलर ने बर्थ ऑर्डर के प्रभाव पर एक सदी पहले विचार प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था कि पहले बच्चे को अधिक जिम्मेदारी मिलती है, जबकि सबसे छोटे बच्चे को ‘बिगड़ैल’ माना जाता है। लेकिन इस बीच मिडिल चाइल्ड को लेकर कुछ अलग ही राय सामने आई है। वेबएमडी ने भी इस बारे में बताया है कि मिडिल चाइल्ड अक्सर ‘बीच में फंसा हुआ’ महसूस करता है क्योंकि न वह सबसे बड़ा होता है और न ही सबसे छोटा।
मिडिल चाइल्ड का व्यवहार
इस अध्ययन से यह भी पता चला कि मिडिल चाइल्ड अपने भाई-बहनों के मुकाबले ज्यादा विनम्र, सहमतिपूर्ण और ईमानदार होते हैं। इसके साथ ही, वे दूसरों के प्रति उदारता, गुस्से पर नियंत्रण और समझौता करने में भी माहिर होते हैं। हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष को चुनौती भी दी है, जैसे कि 2020 में किए गए एक अध्ययन ने बर्थ ऑर्डर और व्यक्तित्व के बीच संबंध को नकारा था।
मिडिल चाइल्ड के प्रसिद्ध उदाहरण
दिलचस्प बात यह है कि कई महान हस्तियां, जैसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर, मैडोना, वॉरेन बफेट और अब्राहम लिंकन, मिडिल चाइल्ड थे। इन उदाहरणों से यह सिद्ध होता है कि मिडिल चाइल्ड होने से जरूरी नहीं कि व्यक्ति का जीवन संघर्षों से भरा हो, बल्कि वह अपनी क्षमताओं में भी निखर सकता है।