हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन (Haryana Right to Service Commission) ने एक उपभोक्ता की शिकायत पर गंभीरता से विचार करते हुए तीन अधिकारियों की लापरवाही के लिए जवाबदेही तय की है।
आयोग के प्रवक्ता ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने जांच में पाया कि बिजली उपभोक्ता कैथल निवासी सोहन लाल द्वारा 15 मार्च 2022 को सुरक्षा राशि की वापसी के लिए दिया गया आवेदन संबंधित सहायक (सीए) को स्पष्ट रूप से मार्क किया गया था, इसके बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आयोग ने डिवीजन गुल्हा चीका के ड्यूटी ऑफिसर-कम-सीए श्री प्रीतम पर हरियाणा राइट टू सर्विस अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(h) के तहत 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है तथा 5हजार रुपये उपभोक्ता को हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह राशि जून, 2025 के वेतन से काटकर जुलाई, 2025 में भुगतान की जाएगी। 5 हजार रुपये कि राशि राज्य कोष में जमा करवाई जाएगी और 5 हजार रुपये कि राशि उपभोक्ता श्री सोहन लाल के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
इसके अलावा, आयोग ने एफजीआरए-सह-एसडीओ (ओपी) श्री आशिष गौतम के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति की है। उन्होंने 3 जनवरी 2025 को मामले की जानकारी होने के बावजूद केवल बिल को निरस्त कर 31 जनवरी 2025 को मामला बंद कर दिया, जबकि उपभोक्ता की अपील और सुरक्षा राशि की वापसी पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। हालांकि, पहली बार चूक मानते हुए आयोग ने उन्हें चेतावनी देकर मौखिक एवं लिखित माफी स्वीकार कर ली है।
डिवीजन गुल्हा चीका के अधीक्षण अभियंता गौरव लोचब की भूमिका को भी आयोग ने असंतोषजनक पाया है। 3 अप्रैल 2025 को अंतिम आदेश पारित करने के बावजूद उन्होंने गलत बिल को निरस्त करने अथवा ब्याज सहित सुरक्षा राशि की वापसी की कोई ठोस पहल नहीं की। यदि आगामी 15 दिनों में उपभोक्ता को सुरक्षा राशि व देय ब्याज का भुगतान नहीं किया गया, तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश की जाएगी।
आयोग ने अधीक्षण अभियंता को निर्देश दिए हैं कि वह उपभोक्ता सोहन लाल को 8 हजार रुपये की सुरक्षा राशि व देय ब्याज का भुगतान कर 10 जुलाई 2025 तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट भेजें।