Saturday, May 18, 2024
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बनारसी दास गुप्ता के जन्म दिन पर विशेष

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा -पवन कुमार बंसल। बनारसी दास गुप्ता के जन्म दिन पर विशेष। जब गुप्ता जी की शिकायत पर देवीलाल ने अमेरिका से मंत्री धर्मवीर को इस्तीफा देने का आदेश दिया l दो बार मुख्यमंत्री रहे गुप्ता जी हिंदी प्रेमी और सादा जीवन वयतीत करते थे। बंसी लाल और देवीलाल उन्हें बहुत सम्मान देते थे लेकिन उनके लालो,सुरिंदर और ओमप्रकाश चौटाला से उनकी नहीं बनी।

गुप्ता जी मेहम कांड के बाद मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाये गए लेकिन ओमप्रकाश चौटाला उन्हें पसंद नहीं करते थे।
हम चर्चा कर चुके है की कि किस तरह सीआई डी ने उनका ही फ़ोन टेप कर लिया। हिंदी में प्रेस नोट। पहले लोक सम्पर्क विभाग अपने प्रेस नोट केवल अंग्रेजी में ही जारी करता था. एक दिन में जो उन दोनों जनसत्ता का संवाददाता था , पंजाब केसरी के राकेश संघी , दैनिक ट्रिब्यून के स्वतंत्र सक्सेना और दैनिक हिंदुस्तान के संतोष तिवारी सचिवालय में उनसे मिलने गए। उन्होंने चाय मंगाई तो मेने कह दिया हम आपसे नाराज है और चाय नहीं पिएंगे।

गुप्ता जी हैरान और बोले की मेने क्या गुस्ताखी कर दी?मैंने जवाब दिया की गुस्ताखी आपने नहीं आपकी सरकार के लोक
सम्पर्क महकमे ने की है। वे अपने प्रेस नोट हिंदी में नहीं जारी करते। गुप्ता जी ने लोक सम्पर्क के निदेशक को वही बुलाया और वही हिंदी में प्रेस नोट बनवाया और हमने चाय भी पी और साथ में इमरती भी खाई। पचीस वर्ष पूर्व जब मेने उनके पारिवारिक मित्र सेठ भागीरथ मल बुवानीवाला के बेटे अशोक बुवानीवाला के साथ गुप्ता जी को हरियाणा की राजनीति और संस्कृति पर अपनी किताब ‘हरियाणा के लालो के सबरंगे किस्से ‘दी तो बहुत खुश हुए। गुप्ता जी के इतने किस्से लेखक को पता है की पूरी किताब लिखी जा सकती है।

एक आखिरी किस्सा।

लेखक की चडीगढ़ में जनसत्ता में नियक्ति हुई ही थी। देवीलाल मुख्यमंत्री , गुप्ता जी उप मुख्यमंत्री और धर्मबीर मंत्री थे। भिवानी नगर पालिका के अध्यक्ष के चुनाव में धर्मबीर ने गुप्ता जी के समर्थक सेठ भागीरथ मल बुवानीवाला को हरवा दिया ; देवीलाल तब अमेरिका में थे। गुप्ता जी उन्हें बताया तो आग बबूला हो कर वही से धर्मबीर को इस्तीफा देने का आदेश दिया। लेखक अपने दफ्तर में था की धर्मवीर की कोठी के किसी छोटे कर्मचारी ने एस टी डी बूथ से इस्तीफे की खबर ददी तो मानो कुबेर खजाना हाथ लग गया क्योंकि जनसत्ता के संपादक रोज एक्सक्लूसिव खबर मांगते थे। फिर डर था की अगर खबर गलत हुई तो नौकरी गयी क्योंकि में तब प्रोबेशन पर था।

थोड़ी देर बाद फिर फ़ोन आया की मंत्री की सरकारी कार भी डिपो में जमा करवा दी है। सुचना देने वाल सोर्स विश्वशनीय था सो खबर छाप दी तो काफी वाह-वाह हुई। अपनी पत्रकारिता में कामयाबी का राज छोटे कर्मचारी मसलन ,ड्राइवर , गनमैन ऑफ़ लिफ्ट वाला रहे।

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