चंडीगढ़। NRI (ऐसे लोग जो दूसरे देश में बस गए हैं) से शादी के बाद उनके धोखा देकर विदेश भाग जाने वाले मामले देश में लाखों में हैं। लेकिन अब NRI को भारतीय नागरिकों से शादी करने पर अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। शादियों में हो रही धोखाधड़ी रोकने के लिए लॉ कमीशन ने ये सिफारिश की है। कमिशन ने कहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक कानून और ऐसी शादियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) ऋतुराज अवस्थी ने कानून मंत्रालय को इस पर रिपोर्ट पेश की है।
अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड
विधि आयोग ने शुक्रवार को सिफारिश की कि झूठे वादे कर और गलत जानकारी देकर शादी करने और बाद में छोड़ देने जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून होना चाहिए। NRI और भारतीय नागरिकों के बीच होने वाले सभी विवाहों को भारत में अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए। इस संबंध में जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने कानून और न्याय मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है।
विधि आयोग को रिपोर्ट सौंपी गई
रिपोर्ट में कहा गया है कि NRI द्वारा भारतीय महिलाओं से विवाह करने और उन्हें धोखा देने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस तरह के मामले बढ़ना चिंताजनक है। इसके लिए एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों को भारत में अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए। विधि और न्याय मंत्रालय को जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि एनआरआई भारतीय नागरिकों से शादी करने बाद धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं। ऐसे मामलों की लगातार आ रही रिपोर्ट्स इसके बढ़ते ग्राफ को गवाह हैं। उनका नकली प्यार और असली धोखा भारतीय जीवनसाथी और खास कर महिलाओं को अनिश्चित परिस्थितियों में डालता है।
ये मांगें शामिल
रिपोर्ट में यह सिफारिश भी है कि एनआरआई या पीआईओ या ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों को अनिवार्य रूप से भारत में पंजीकृत किया जाना चाहिए। इसमें विवाह और विवाह विच्छेद यानी तलाक, भरण-पोषण के प्रावधान यानी नियम शर्तें भी शामिल होनी चाहिए। जीवनसाथी और बच्चों की अभिरक्षा, संरक्षा और सुरक्षा के साथ उनके पालन पोषण के अलावा एनआरआई और ओसीआई को जरूरत पड़ने पर समन और अन्य संबंधित न्यायिक दस्तावेजों की तामील का भी अधिकार प्रावधान होना आवश्यक है।
ये जानकारी देना अनिवार्य
- विधि आयोग ने सिफारिश की है कि नए कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, भरण-पोषण, एनआरआई और ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की तामील के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।
- पासपोर्ट अधिनियम 1967 में भी सुधार किया जाना चाहिए। पासपोर्ट पर वैवाहिक स्थिति की घोषणा की जानी चाहिए। बताया जाना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति का पति या पत्नी कौन है। दोनों के पासपोर्ट पर विवाह पंजीकरण संख्या दिया जाना चाहिए।
- देश की अदालतों के पास ऐसे विवाहों से जुड़े विवादों में सुनवाई कर हल करने का न्यायिक अधिकार क्षेत्र भी होगा। अदालतों के पास ऐसे विवाह और संबंधों से जुड़े अन्य विवादों या मुद्दों को भी हस्तक्षेप कर सुलझाने का न्यायिक अधिकार होगा।
- देसी अदालतों को ये अधिकार देने से यह सुनिश्चित होता है कि एनआरआई/ओसीआई विवाहों से संबंधित मामले देश की कानूनी प्रक्रियाओं के ढांचे के भीतर प्रभावी ढंग से निपटाए जा सकते हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में विदेश मंत्रालय ने भारत के विधि आयोग से अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक कानून और निजी कानूनों दोनों के संदर्भ में एनआरआई विवाहों को नियंत्रित करने वाले ढांचे की जांच करने और उसे मजबूत करने का आह्वान किया था। इसके बाद विधि आयोग ने स्टडी किया और रिपोर्ट तैयार की।