गरिमा टाइम्स न्यूज.रोहतक : रोडवेज कर्मशाला में काम करने वाले कर्मचारियों की कमी का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। यहां पर 236 में से सिर्फ 64 कर्मचारी ही काम कर रहे है। इसका प्रभाव यात्रियों के आवागमन पर देखने को मिल रहा है। रोडवेज में खराब बसों की संख्या भी ज्यादा होती है तो उन्हें ठीक करने में समय लगता है। ऐसे में बसों में भीड़ भी बढ़ती हैं, क्योंकि लोकल बसों के फेरे कम करने पड़ते है।
कर्मशाला में हमेशा पांच से 10 बसें कुछ ना कुछ खराबी होने की वजह से खड़ी रहती है। रोडवेज अधिकारियों ने बताया बसों की मरम्मत करने के लिए 236 कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन अभी 64 कर्मचारी ही काम कर रहे है। इनमें से भी कोई ना कोई कर्मचारी हमेशा छुट्टी पर ही रहता है। इस कारण बसों के मरम्मत का कार्य हमेशा प्रभावित होता है। इनमें से कुछ बसें हमेशा कर्मशाला में खड़ी रहती हैं।
32 साल पहले हुई थी भर्ती, उसके बाद कोई भर्ती नहीं
1992 से विभाग में नियमित तौर पर भर्ती नहीं हुई है। विभाग में 2018 में सिर्फ ग्रुप डी की भर्ती की गई थी। इसमें से अभी कुछ ग्रुप सी में प्रमोट होकर दूसरे विभाग में चले गए है। ग्रुप डी की भर्ती में सिर्फ 30 हेल्पर भर्ती की गई थी। इनमें से अभी सिर्फ 20 कर्मचारी ही बचे हैं। अभी विभाग के पास 184 बसें हैं, जबकि नियमों के अनुसार 236 बसें होनी चाहिए। अगर कर्मशाला में जरूरत के अनुसार कर्मचारियों की भर्ती की जाएं तो समय पर बसों की मरम्मत हो और यात्रियों को किसी समस्या का सामना ना करना पड़े। बसों में भीड़ ना हो। अगर विभाग में भर्ती हो जाएं तो बहुत से बेरोजगार लोगों को भी रोजगार मिल सकता है।
रोडवेज कर्मशाला में कर्मचारियों की कमी है। अगर भर्ती की जाएं तो बसों का काम समय पर पूरा होगा। 2018 में सिर्फ ग्रुप डी की भर्ती की गई थी, उसमें से भी कुछ कर्मचारी ग्रुप सी में प्रमोट होकर दूसरे विभागों में चले गए हैं।-सुरेंद्र सिवाच, वर्कशॉप मैनेजर, रोडवेज डिपो