Friday, November 22, 2024
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रोहतक वाले दें भ्रूण जांच की सूचना, मिलेगा एक लाख का इनाम, पहचान रखी जाएंगी गुप्त

- गर्भपात के लिए डॉक्टर की लिखी हुई पर्ची होना अनिवार्य- डॉ. संजीव मलिक - अस्पतालों का विभिन्न अधिनियमों के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी - मरीजों के रिकार्ड की मासिक रिपोर्ट करनी होगी प्रस्तुत - भू्रण जांच की सूचना देने वाले को मिलेगा एक लाख का इनाम - गर्भपात करवाने वाली महिला की पहचान रखी जाएं गुप्त

रोहतक। रोहतक वालों के लिए जरूरी सूचना, अगर शहर या गांव में चल रहे अवैध लिंग जाँच के बारे में जानकारी देंगे तो एक लाख का इनाम मिलेगा साथ ही उसकी पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। इसके साथ ही किसी भी डायग्नोस्टिक सेंटर या फिर अस्पताल में गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए डॉक्टर द्वारा बनाई गई पर्ची व फोटो युक्त पहचान पत्र का होना आवश्यक है। यह बात आज स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीसी एंड पीएनडीटी, एमटीपी, एआरटी व सरोगेसी अधिनियमों को लेकर आयोजित कार्यशाला में अधिनियमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉक्टर संजीव मलिक ने कहीं।

उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों का विभिन्न अधिनियमों के तहत पंजीकरण अनिवार्य है। इन अधिनियमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल मरीजों का पूर्ण रिकॉर्ड सही ढंग से गुप्त रखें। रिकॉर्ड की मासिक रिपोर्ट निर्धारित समय पर सिविल सर्जन कार्यालय को उपलब्ध करवानी होगी। रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड केन्द्रों का नाम स्थान को बदलने से पहले या ऑपरेटर को छोडऩे से पहले स्वास्थ्य विभाग से एक माह पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। यदि कोई नियमों की पालन नहीं करता है तो उनके खिलाफ अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

डॉ संजीव मलिक ने आमजन का आह्वान करते हुए कहा कि अगर उन्हें किसी अल्ट्रासाउंड सैंटर पर भ्रूण जांच की सूचना मिलती है तो सिविल सर्जन कार्यालय में अवश्य सूचित करें ताकि ऐसे केंद्र संचालक के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सके। सूचना सही पाए जाने पर सूचना देने वाले व्यक्ति को एक लाख का नगद इनाम दिया जाता है। इसके साथ ही सूचना देने वाले का नाम अधिनियम में गोपनीय रखने का प्रावधान है।

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) अधिनियम के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अगर भ्रूण 24 सप्ताह का है और चिकित्सा दृष्टिकोण से गर्भपात करना जरूरी है तो इसके लिए जिला मेडिकल बोर्ड की स्वीकृति जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर को यह भी लिखना होगा कि मां व बच्चे को क्या खतरा है। यह भी बताया गया कि गर्भपात कब, कहां और किस स्थिति में किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि संबंधित महिला की पहचान को गुप्त रखना होगा और उसकी सहमति भी लेनी होगी। गर्भपात दवाइयां से किया जाएगा अथवा सर्जिकल इस बारे में भी अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी दी गई और आवश्यक फार्म व दस्तावेजों के बारे में भी बताया गया।

इस अवसर पर डॉ. संजीव मलिक ने पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट, एमटीपी एक्ट, एआरटी एक्ट एवं सरोगेसी एक्ट के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. अनिल बिरला, जिला न्यायवादी राजेश गिल, महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी दीपिका सैनी, उप-सिविल सर्जन डॉ.के.एल.मलिक, पीएनडीटी के नोडल अधिकरी डॉ. दिनेश गर्ग, वरिष्ठï स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र कौर, पैथोलोजिस्ट डॉ. नरेन्द्र दहिया, इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के प्रधान डॉ. रविन्द्र हुड्डा, डीपीआरओ संजीव सैनी, एसएसमओ कलानौर संजीव मलिक, डॉ. रोहित कपूर, कुमारी पूनम आर्या, सुभाष गुप्ता, डॉ विकास सैनी, डॉ.विशाल सैनी, डॉ.विजय कुमार, डॉ.देवेन्द्र, नीरज, सुरेश भारद्वाज, दीपक डीपीएम, ललिता, दीपक शर्मा सभी को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डॉ. राजवीर सभ्रवाल, डॉ.अनुपमा मित्तल, डॉ. डिम्पल, डॉ.सत्यवान,डॉ.मन्जूमेहरा, डॉ.सुनीता धानिया, डॉ.ज्योतसना पीजीआईएमएस, डॉ.नीतू पीजीआईएमएस, डॉ. अन्जली अरोड़ा आदि उपस्थित रहे।

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