रोहतक। रोहतक कोर्ट में आज पुलिस 2017 में हुए मामले को साबित नहीं कर पाई जिस वजह से कोर्ट ने आज संत गोपालदास सहित 15 आरोपियों को बरी कर दिया। संत गोपालदास सहित 15 लोगो पर आरोप था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सात साल पहले 2017 में दौरे के दौरान तिलियर के नजदीक सड़क पर मृत सांड डाल दिया था। उन्होंने सरकारी कार्य में बाधा डाली और रोकने पर पुलिस के साथ धक्का मुक्की की थी। लेकिन आज पुलिस अदालत में यह साबित नहीं कर सकी कि आरोपियों ने सरकारी ड्यूटी में बाधा डाला और पुलिस कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की।
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक अगस्त 2017 में फरीदाबाद पुलिस के इंस्पेक्टर जगबीर सिंह ने अर्बन एस्टेट थाने में शिकायत दी थी कि वीआईपी ड्यूटी के चलते वह दिल्ली रोड स्थित रोहतक के तिलियर कंनवेंशन सेंटर के बाहर तैनात था। शाम करीब पांच बजे संत गोपाल दास अपने 15 से 20 समर्थकों के साथ एक बुलडोजर लेकर आया और बुलडोजर से मृत सांड सड़क पर डाल दिया।
पुलिस ने मृत गोवंश व मशीन को सड़क से हटाने के लिए कहा, लेकिन संत गोपाल दास व उसके समर्थकों ने एक न सुनी और नारेबाजी करने लगे। साथ ही मृत सांड व बुलडोजर से रास्ता रोक दिया। थोड़ी देर बाद बुलडोजर चालक मौके से फरार हो गया। संत गोपाल दास व उसके समर्थकों ने मना करने पर भी उनके साथ धक्का-मुक्की की। साथ ही सरकारी ड्यूटी में बाधा डाली। पुलिस ने संत गोपाल दास व उसके 11 समर्थकों को मौके पर ही काबू कर लिया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147,149,186, 283, 353 के तहत मामला दर्ज किया। तभी से जिला अदालत में केस की सुनवाई चल रही थी।
ये आरोपी हुए बरी
संत गोपाल दास, संजीव निवासी भागवी, जिला चरखी- दादरी, संजीव गोदारा निवासी चरखी-दादरी, मुकेश निवासी चरखी-दादरी, विकास निवासी मतनावली, शामली यूपी, जगबीर निवासी चरखी-दादरी, भूपेंद्र आर्य निवासी रामलवास, चरखी-दादरी, मनोज निवासी घसौला, चरखी-दादरी, अनूप निवासी काकड़ी, जींद , गौतम निवासी कासंडी, सोनीपत, संदीप निवासी भागवी, चरखी-दादरी, हरीश गुप्ता निवासी शाहदरा, दिल्ली, धर्मबीर, विक्रम, देवेंद्र उर्फ देव को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
बचाव पक्ष के वकील गुरुप्रसाद हुड्डा ने कहा कि 2017 में गौचरण भूमि को लेकर संत गोपालदास के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन किया जा रहा था। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान आरोपियों ने किसी पुलिसकर्मी से धक्का मुक्की नहीं की। न ही सरकारी ड्यूटी में बाधा डाली। पुलिस कोई ठोस तत्थ पेश नहीं कर सकी। इसके चलते एसीजेएम मंगलेश कुमार चौबे की अदालत ने सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया है।