Friday, April 25, 2025
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भारतीय संस्कृति में सिंधु नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

Indus River: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान में जाने वाले सिंधु नदी के पानी को रोक को दिया है. आज जानेंगे सिंधु नदी का भारतीय संस्कृति और धार्मिक महत्व क्या है ? सिंधु नदी पवित्र नदियों में से एक है इसे नदियों की रानी कहा जाता है.  सिंधु नदी, एशिया की एक प्रमुख नदी है जो तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है और पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में मिलती है.

Indus River:  सिंधु नदी का धार्मिक महत्व 

वेदों और पुराणों में भी सिंधु नदी का वर्णन किया गया है. सिंधु नदी के तट पर बहुत सारे महान ऋषि- मुनियों ने तपस्या की थी. धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी नदी के तट पर बैठ कर कई वेद- पुराणों की रचना भी हुई है. इसीलिए हिंदू धर्म में इस महत्व है. ऋग्वेद में सिंधु नदी का अनेक बार वर्णन हुआ है. “इमं मे गंगे यमुने सरस्वति…सिंधु स्तोमं आर्जुनयं” पवित्र नदी सिंधु जो ‘नदियों की रानी’ और ज्ञान की नदी भी कहा जाता है.

सिंधु दर्शन महोत्सव

हर साल जून के महीने में गुरु पूर्णिमा के मौके पर सिंधु दर्शन महोत्सव का आयोजन किया जाता है. सिंधु दर्शन महोत्सव हर साल लद्दाख के लेह में आयोजित किया जाता है.यह सिंधु नदी के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का एक माध्यम है. इस महोत्सव में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं.

सिंधु नदी के मुहाने पर कराची के पास हिंगलाज स्थान पर हिंगलाज माता का मंदिर है, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है. हिंगोल नदी, सिंधु नदी की एक सहायक नदी है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बहने वाली एक नदी, जो हिंगलाज माता मंदिर के पास से गुजरती है.

 

 

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