चंडीगढ़। किसान आंदोलन को लेकर शंभू बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर आज भी डटे हैं। इस बीच अंबाला रेंज के आईजी सिबाश कबिराज ने शुक्रवार को कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि अंबाला के कुछ नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लगाने के मामले पर पुनर्विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा। हरियाणा पुलिस प्रदर्शनकारियों और उनके नेताओं से शांति बनाए रखने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपील करती है।
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— Ambala Police (@AmbalaPolice) February 23, 2024
किसान नेता को पुलिस ने दिया नोटिस
वहीं, अंबाला पुलिस ने आंदोलन में शामिल होने के लिए KMM के सदस्य और BKU शहीद भगत सिंह के अध्यक्ष अमरजीत मोहड़ी के घर नोटिस दिया है। इसमें आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई उनकी संपत्ति से रिकवर करने की चेतावनी दी गई है।
अंबाला पुलिस ने कही थी ये बातें
इससे पहले पहले अंबाला पुलिस ने कहा था सार्वजनिक संपत्ति और पुलिस प्रशासन पर पत्थर बाजी व हुडदंग बाजी करके कानून व्यवस्था बिगाडने की प्रतिदिन कोशिश की जा रही है। इस दौरान उपद्रवियों द्वारा सरकारी व प्राईवेट सम्पति को काफी नुकसान पंहुचाया जा चुका है। इस आन्दोलन के दौरान लगभग 30 पुलिस कर्मचारियों को चोटें आई, एक पुलिस कर्मचारी का ब्रैन हैमरेज और दो पुलिस कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है।
किसानों पर लगाया था ये आरोप
पुलिस ने कहा था कि आंदोलन में कई किसान नेता सकिया भूमिका में है और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे है। लगातार सोशल मीडिया जैस फेसबुक, व्हटस्प, इन्सटाग्राम, टैलिग्राम इत्यादि के माध्यम से भडकाउ व उकसाने वाले भाषण देकर प्रचार प्रसार किया जा रहा हैं। इधर पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर 21 साल के शुभकरण की मौत के विरोध में किसान शुक्रवार को देशभर में ब्लैक डे मना रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को साढ़े 4 घंटे चली बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। इसमें 100 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। 26 को देशभर में ट्रैक्टर मार्च और 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत करने पर सहमति जताई।
4 पुलिसकर्मियों की हो चुकी है मौत
बता दें कि शंभू बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान करीब 30 पुलिस कर्मी घायल हो गए और 1 पुलिस कर्मी को ब्रेन हेमरेज हुआ और 3 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई है। कई किसान नेता राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को खराब करने की कोशिश कर आंदोलन को भड़काने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसी के साथ फेसबुक, वाट्सऐप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार भड़काऊ और उत्तेजक भाषण देकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। अधिकारियों और सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आपराधिक गतिविधियों को रोकने और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम तहत किसान संगठनों के पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई अमल में ला रहे हैं ताकि कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सके।