Viral News : महज 14 साल की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखने वाली नूतन ने न केवल हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई बल्कि उस दौर में अभिनेत्रियों की भूमिका को भी पूरी तरह बदलकर रख दिया। 16 साल की उम्र में मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली नूतन ने अपने प्रभावशाली अभिनय से यह साबित कर दिया कि सिनेमा में महिलाएं सिर्फ शोपीस नहीं हैं। उन्होंने वुमन सेंट्रिक फिल्मों को नई ऊंचाई दी और दर्शकों के दिलों पर राज किया।
4 जून 1936 को मुंबई में जन्मीं नूतन का सिनेमा से जुड़ाव उनके परिवार के जरिए हुआ। उनके पिता कुमारसेन समर्थ एक कवि और निर्देशक थे, जबकि मां शोभना समर्थ सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री थीं। उनकी छोटी बहन तनुजा और भांजी काजोल भी बॉलीवुड का बड़ा नाम हैं।
नूतन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1950 में फिल्म हमारी बेटी से की। इस फिल्म का निर्माण उनकी मां शोभना समर्थ ने किया था। इसके बाद 1955 में आई फिल्म सीमा के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। सुजाता, कर्मा, और बंदिनी जैसी फिल्मों में नूतन के अभिनय ने उन्हें हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्रियों की सूची में शामिल कर दिया।
उनकी सफलता इस बात का प्रमाण थी कि शादी के बाद भी निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना चाहते थे। नूतन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने साड़ी में लिपटी एक सुलझी महिला का किरदार निभाने के साथ-साथ स्क्रिप्ट की मांग पर बोल्ड कपड़ों में भी काम किया। संजय लीला भंसाली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नूतन जैसी सहज और करिश्माई अभिनेत्री उन्होंने कभी नहीं देखी।
उनके फिल्मी सफर के साथ ही निजी जिंदगी में भी कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। नूतन ने लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से शादी की। हालांकि, स्टारडम के शिखर पर पहुंचने के बाद उनकी अपनी मां शोभना समर्थ से अनबन हो गई। नूतन ने मां पर उनके पैसों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया। यह विवाद इतना बढ़ा कि मां-बेटी ने 20 साल तक एक-दूसरे से बात नहीं की। शोभना समर्थ ने इसके लिए नूतन के पति रजनीश को जिम्मेदार ठहराया।
नूतन का नाम उस समय भी सुर्खियों में आया जब उनकी फिल्म नगीना रिलीज हुई। उस वक्त वह महज 15 साल की थीं। फिल्म के प्रीमियर पर, जब वह अपने परिवार के साथ थिएटर पहुंचीं, तो एक वॉचमैन ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि यह फिल्म नाबालिगों के लिए प्रतिबंधित है।
90 के दशक में नूतन ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ गईं। बीमारी से जूझते हुए भी उन्होंने अपने अभिनय के प्रति समर्पण बनाए रखा। 1991 में, महज 54 साल की उम्र में, नूतन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेटे मोहनीश बहल और पोती प्रनुतन बहल ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया।
नूतन का योगदान सिर्फ उनकी फिल्मों तक सीमित नहीं था। उन्होंने यह साबित किया कि सिनेमा में महिलाएं भी मजबूत और सशक्त किरदार निभा सकती हैं। उनकी विरासत हिंदी सिनेमा में हमेशा जीवित रहेगी।