Friday, May 17, 2024
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सोमवती अमावस्या पर बन रहे दुर्लभ संयोग, नाराज पितरों को करें खुश, इससे बेहतर दिन और कोई नहीं

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कुरुक्षेत्र। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। सोमवार के दिन अगर अमावस्या तिथि का संयोग हो जाए तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। कहते हैं कि सोमवती अमावस्या पर किया गया दान, पूजा और उपाय आदि का श्रेष्ठ फल मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पितरों का तर्पण किया जाए तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। कुरुक्षेत्र में अमावस्या पर एक तरह से मेला लगता है। यहां के पवित्र सरोवरों पर दूर दराज से श्रद्धालु स्नान और दान को पहुंचते हैं। इसके अलावा सुहागिन महिलाओं के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत बहुत ही खास माना गया है। साल ही पहली सोमवती अमावस्या चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है।

सोमवती अमावस्या 3 शुभ योग

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार साल में 2-3 बार सोमवती अमावस्या का संयोग बनता है। साल 2024 में सोमवती अमावस्या का पहला संयोग अप्रैल में बन रहा है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल, सोमवार की तड़के 03:21 से शुरू होगी, जो देर रात 11:50 तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 8 अप्रैल को होगा, इसलिए इसी दिन सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। सोमवती अमावस्या से संबंधित स्नान, दान, उपाय आदि सभी इसी दिन किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि इस बार सोमवती अमावस्या 3 शुभ योग में आ रही है। सोमवती अमावस्या वाले दिन शिव योग, इंद्र योग और उत्तरभाद्रपद नक्षत्र है जो एक अदभुत संयोग है। इंद्र योग 8 अप्रैल को प्रात:काल से लेकर शाम 6 बजकर 14 मिनट तक है। वहीं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक है। उसके बाद से रेवती नक्षत्र है। इंद्र योग को शुभ और सुख-सुविधाओं में वृद्धि वाला माना जाता है। सोमवार के दिन इतने अद्भुत योग होने के कारण यह अमावस्या अपने आप में अद्भुत बन गई है। इस दिन दान पुण्य स्नान आदि करने से कई गुना लाभ की प्राप्ति होगी। पितरों के निमित्त किए गए कार्य पितृगण प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देंगे।

सूर्य ग्रहण का संयोग

साथ ही इस बार सोमवती अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का संयोग भी बन रहा है, लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका कोई भी महत्व जैसे सूतक आदि मान्य नहीं होगा। कईं दशकों में एक बार सोमवती अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बनता है। बता दें कि सोमवती अमावस्या के​ दिन पूरे दिन पंचक रहेगा, लेकिन सोमवती अमावस्या के दिन पंचक काल में ही स्नान व दान किया जाएगा। स्नान का शुभ मुहूर्त ब्रह्म काल में सुबह 4 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में जातक स्नान व दान कर सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करके किसी भी शिवालय में जाकर भगवान शंकर को जल अर्पित करें और भोजन का दान करें, फल, अन्न, मीठे जल का भंडारा लगाएं।

भगवान शिव का पूजन

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह आने वाली अमावस्या तिथि का अपना खास महत्व होता है, लेकिन चैत्र माह की अमावस्या तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जिसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण करना शुभ होता है, इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। कहते हैं भगवान शिव का पूजन करने से जीवन में आ रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं माता पार्वती के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।

सोमवती अमावस्या पर नाराज पितरों को खुश करने के उपाय

1. सोमवती अमावस्या के दिन प्रात:काल में स्नान कर लें। उसके बाद अपने पितरों को स्मरण करके जल से तर्पण दें. तर्पण में काले तिल, सफेद फूल और कुश का उपयोग करें। तर्पण करने से पितर तृप्त होते हैं और खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। उनकी कृपा से वंश, धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।

2. सोमवती अमावस्या के अवसर पर स्नान और दान के बाद पीपल के पेड़ की जड़ को जल से सींचें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु, शिव जी और ब्रह्म देव का वास होता है। यदि आप पीपल के पेड़ की सेवा और पूजा करते हैं तो आपके पितरों को लाभ होगा। उनके दुखों का अंत होगा और वे मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे।

3. सोमवती अमावस्या के दिन आप स्नान-दान करने के बाद अशोक का पौधा लगाएं और प्रतिदिन उसकी सेवा करें। कहते हैं कि अशोक का पेड़ भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रिय है। उनकी कृपा से ही व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप सोमवती अमावस्या पर अशोक का पौधा लगाएं। इस उपाय को पितृ पक्ष में भी करना चाहिए।

4. सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा तो करते हैं, लेकिन इस दिन पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें। उसके बाद इससे मिलने वाले पुण्य को अपने पितरों को अर्पित कर दें। इससे वे खुश होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे।

5. सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। बेल के पेड़ को जल से सींचें और उसमें कलावा बांधें। इस उपाय से पितृ दोष दूर हो सकता है।

हिंदू वर्ष 2080 का अंतिम दिन

हिंदू पंचांग के अनुसार, 8 अप्रैल, सोमवार हिंदू वर्ष 2080 का अंतिम दिन रहेगा। इसके अगले दिन यानी 9 अप्रैल, मंगलवार से विक्रम संवंत 2081 शुरू हो जाएगा। साल के अंतिम दिन सोमवती अमावस्या का होना एक दुर्लभ संयोग है। कई सालों में ऐसा योग बनता है। इतने सारे शुभ योगों के चलते ये दिन स्नान-दान, पूजा और उपाय आदि के लिए बहुत ही श्रेष्ठ बन गया है।

Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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