Rajasthan News: वर्तमान डिजिटल युग में सूचना प्रौद्योगिकी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, बैंकिंग और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में आईटी की भूमिका बढ़ती जा रही है। पारदर्शी एवं जवाबदेही सुशासन देने में भी ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन सेवाओं का योगदान उल्लेखनीय है। डिजिटल संसार की इन सभी गतिविधियों के सुरक्षित और निर्बाध संचालन का डेटा सेंटर्स प्रमुख आधार है।
इन सेंटर्स में क्लाउड कम्प्यूटिंग, को-लोकेशन एवं कंटेंट डिलीवरी के माध्यम से विभिन्न डिजिटल प्लेटफोर्म संचालित होते हैं। व्यावसायिक डेटा को सुरक्षित और सुलभ रखने के साथ ही ये डेटा केन्द्र रिकवरी समाधान भी उपलब्ध कराते हैं। विगत कुछ वर्षों में हमारे देश के डेटा सेंटर्स की क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में बढ़ रहे निवेश से भारत तेजी से बढ़ते डेटा सेंटर बाजार के रूप में स्थापित हुआ है। वर्ष 2024 में भारतीय डेटा सेंटर बाजार की अनुमानित क्षमता 2 हजार मेगावाट थी, जो वर्ष 2029 तक बढ़कर 4 हजार मेगावाट से अधिक होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने डेटा सेंटर्स की इस बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए राजस्थान में निजी क्षेत्र में डेटा सेंटर्स की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान डेटा सेंटर पॉलिसी-2025 लागू की है। राज्य बजट 2024-25 में यह डेटा सेंटर पॉलिसी लाने की घोषणा की गई थी।
राजस्थान डेटा सेंटर पॉलिसी-2025 का लक्ष्य राज्य में एक विश्व स्तरीय डेटा सेंटर इकोसिस्टम विकसित कर राजस्थान को डेटा सेंटर क्षेत्र का प्रमुख केन्द्र बनाना है। यह नीति राज्य में स्थापित होने वाले डेटा सेंटर्स की गतिविधियों की दक्षता, सुरक्षा और विश्वसनीयता को प्रभावशाली बनाएगी। साथ ही, राज्य में डेटा प्रबंधन, प्रदर्शन और सुरक्षा के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने में भी मदद करेगी।
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डेटा सेंटर सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान—
इस नीति के तहत डेटा सेंटर सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं, जिनमें 10 वर्षों तक 10-20 करोड़ रुपये वार्षिक एसेट क्रिएशन इंसेंटिव, 100 करोड़ से अधिक निवेश करने वाले पहले 3 डेटा सेंटर्स को 25 प्रतिशत अतिरिक्त सनराइज इंसेंटिव, 5 वर्षों तक 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, बैंकिंग, ट्रांसमिशन व व्हीलिंग शुल्क में 100 प्रतिशत छूट, भूमि संबंधी फ्लेक्सिबल भुगतान सुविधा, स्टांप ड्यूटी, भू-रूपांतरण व विद्युत शुल्क में छूट, तथा 10 करोड़ रुपए तक बाह्य विकास शुल्क से छूट शामिल हैं।
पर्यावरण संरक्षण और कर्मचारियों की दक्षता वृद्धि पर भी जोर—
नवीन नीति में पर्यावरण संरक्षण तथा कार्मिकों की दक्षता में वृद्धि पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत डेटा सेंटर कर्मचारियों की कार्यकुशलता सुधार हेतु व्यय की गई राशि का 50 प्रतिशत पुनर्भरण, ग्रीन सॉल्यूशन इंसेंटिव के रूप में 12.5 करोड़ रुपये तक 50 प्रतिशत पुनर्भरण, जीआई टैग, पेटेंट, कॉपीराइट व ट्रेडमार्क पंजीयन पर 1 करोड़ रुपये तक 50 प्रतिशत सहायता, बिल्डिंग बायलॉज में छूट व सतत विद्युत आपूर्ति के प्रावधान शामिल हैं।