Wednesday, July 3, 2024
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पंजाब, रेशम बीज उत्पादन केंद्र पुनः प्रारंभ, अधिकारियों को दिये आवश्यक निर्देश

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पंजाब, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के ईमानदार प्रयासों के कारण, हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में पिछले 15 वर्षों से बंद पड़ा पंजाब का एकमात्र सरकारी रेशम बीज उत्पादन केंद्र फिर से शुरू हो गया है। बागवानी मंत्री चेतन सिंह जौदमाजरा ने आज इस सरकारी सेरीकल्चर रेशम बीज उत्पादन केंद्र का दौरा किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

उद्यान मंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य के इस भंडार की उपेक्षा की है, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच की बदौलत उन्होंने इस केंद्र को फिर से शुरू करने का प्रावधान किया। उन्होंने कहा कि इस केंद्र के लिए पहली किस्त के रूप में 14 लाख रुपये स्वीकृत हो गए हैं, जिससे रेशम बीज भंडार तैयार किया जाएगा और सितंबर से किसानों को सस्ते दाम पर रेशम बीज दिया जाएगा।

एस. चेतन सिंह जौदमाजरा ने कहा कि डलहौजी का वातावरण रेशम बीज उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त है और इस केंद्र की स्थापना से पंजाब के कांधी क्षेत्र के लगभग 1500 किसानों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस केंद्र से कांधी जिले गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर और रोपड़ आदि के किसानों को लाभ मिलेगा।

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उद्यान मंत्री ने कहा कि विभाग पहले रेशम कीट पालकों को केन्द्रीय रेशम बोर्ड के केन्द्रों से रेशम बीज उपलब्ध कराता था। लेकिन अब डलहौजी में इस रेशम बीज केंद्र के चालू होने से राज्य सरकार अपने स्तर पर रेशम बीज का उत्पादन कर रेशम कीट पालकों को परिवहन की कम लागत पर रेशम बीज उपलब्ध करा सकेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य में अपने स्तर पर रेशम बीज केंद्र शुरू करने से रेशम बीज का अधिक उत्पादन होगा और इससे राज्य में रेशम का उत्पादन भी बढ़ेगा और अधिक किसान, मुख्य रूप से महिलाएं इस व्यवसाय से जुड़ सकेंगी।

उन्होंने कहा कि सेरीकल्चर विंग बागवानी विभाग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राज्य में सेरीकल्चर में बहुत मदद कर रहा है और साथ ही कांधी क्षेत्र के गरीब सेरीकल्चर किसानों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्होंने निदेशक बागवानी को विभिन्न योजनाओं के तहत रेशम कीट पालकों को आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया है ताकि राज्य में अधिक से अधिक रेशम उत्पादन किया जा सके और गरीब किसानों को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर पहुंचाया जा सके।

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