Punjab News: नशे के खात्मे के लिए शुरू की गई राज्य स्तरीय मुहिम ‘ड्रग्स पर वार’ के दौरान नशा तस्करी नेटवर्क को बड़ा कानूनी झटका देते हुए पंजाब पुलिस ने 1 मार्च, 2025 तक एनडीपीएस एक्ट के मामलों में 89 प्रतिशत सजा दर हासिल करके कानूनी मोर्चे पर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यह जानकारी आज यहां पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने दी।
जानकारी के अनुसार एक मार्च 2025 से अब तक राज्य भर में एनडीपीएस एक्ट के कुल 836 मामलों का फैसला सुनाया जा चुका है, जिनमें से 744 मामलों में आरोप सिद्ध हो चुके हैं।
पंजाब पुलिस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा, “इन मामलों में 144 नशा तस्करों को 10 साल या उससे अधिक के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है, जो नशा तस्करी के मामलों में कानून प्रवर्तन और न्यायिक प्रक्रियाओं की गंभीरता को दर्शाता है।” इस अवसर पर उनके साथ विशेष डीजीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) कुलदीप सिंह, एडीजीपी एएनटीएफ नीलाभ किशोर और आईजीपी मुख्यालय डॉ. सुखचैन सिंह गिल भी मौजूद थे।
डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने जमीनी स्तर पर नशों की उपलब्धता को शून्य पर लाने के लिए 31 मई तक की समय सीमा तय की है, इसलिए सभी सीपी/एसएसपी को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में पेशेवर पुलिसिंग सुनिश्चित करके “मिशन ड्रग फ्री पंजाब” का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करने का निर्देश दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि डीजीपी ने मंगलवार को सभी सीपी/एसएसपी की समीक्षा बैठक भी बुलाई है, जिसमें सभी जिला प्रमुख 31 मई तक अपने-अपने जिलों से नशे के खात्मे के लिए अपनी योजनाएं पेश करेंगे।
उन्होंने कहा, “सीपी/एसएसपी को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक उपायों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के निर्देश दिए गए हैं तथा 31 मई, 2025 तक एक लक्ष्य तिथि भी तय करने को कहा गया है – जिस तिथि तक उनके क्षेत्र पूरी तरह से नशा मुक्त हो जाएंगे।” उन्होंने कहा कि 31 मई के बाद वास्तविक जमीनी हकीकत की पुष्टि के लिए खुफिया स्रोतों और अन्य उपकरणों का उपयोग करके क्षेत्रीय आकलन किया जाएगा।
डीजीपी ने अधिकारियों से कहा कि अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कार दिए जाएंगे, जबकि झूठे दावे करने वाले या जिनका प्रदर्शन मानक के अनुरूप नहीं पाया गया, ऐसे अधिकारियों के लिए जवाबदेही और जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस का ध्यान डेटा-आधारित लक्ष्यों पर नहीं, बल्कि राज्य भर में नशीले पदार्थों के उन्मूलन के लिए आपूर्ति श्रृंखला को पूरी तरह बाधित करने पर है।