Punjab News: पंजाब सरकार ने ग्राम पंचायतों को 17 से 30 जून तक ग्राम सभाएं आयोजित करने तथा गांवों में नशे की स्थिति, नशा विक्रेताओं और उनके संसाधनों पर लिखित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं। इस आदेश की जहां आम आदमी पार्टी समर्थक सरपंचों द्वारा सराहना की जा रही है, वहीं विपक्षी दलों के सरपंचों द्वारा इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है।
सरपंचों ने किया प्रदर्शन, डीसी को सौंपा मांग पत्र
फरीदकोट जिले में आज पंचायत यूनियन के जिला प्रधान मनिंदर सिंह के नेतृत्व में अनेक सरपंचों ने एकत्रित होकर डिप्टी कमिश्नर के नाम सहायक कमिश्नर (शिकायत) को ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि सरकार को पंचायतों पर नशा तस्करों के बारे में जानकारी जुटाने का दबाव नहीं डालना चाहिए।
मनिंदर सिंह, जो गांव मचाकी खुर्द के सरपंच भी हैं, ने कहा, “सरकार के आदेशों से गांवों में लॉकडाउन बढ़ेगा, ड्रग तस्कर पंचायत सदस्यों और उनके परिवारों को निशाना बना सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि पंचायतों का काम विकास कार्य करना है, खुफिया जासूसी करना नहीं। नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान पुलिस और खुफिया एजेंसियों का काम है।
विपक्षी दलों ने चिंता व्यक्त की
कांग्रेस और भाजपा समर्थित सरपंचों ने भी सरकार के फैसले की निंदा करते हुए कहा, “सरकार गांवों में आपसी दुश्मनी पैदा करना चाहती है। ड्रग तस्कर लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं। सरपंचों को न तो सुरक्षा है और न ही सरकारी संरक्षण।” उन्होंने मांग की कि इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।
आप सरपंचों ने फैसले की वकालत की
उधर, आम आदमी पार्टी के समर्थक सरपंच बलजीत सिंह ने कहा कि यह एक जरूरी और बहुत अच्छा कदम है। उन्होंने कहा, “पंचायतें गांव की जमीनी हकीकत सरकार तक पहुंचा सकती हैं। अगर गांव नशामुक्त हैं तो यह साझा जिम्मेदारी है।”
सरकार ने निर्धारित प्रपत्र में रिपोर्ट मांगी है।
पंजाब सरकार ने सभी पंचायत संस्थाओं को निर्धारित प्रपत्र भरकर 30 जून तक लिखित रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि गांवों में नशा कौन बेचता है और किस रास्ते या माध्यम से नशा लाया जाता है, इसकी जानकारी भी उपलब्ध करवाई जाए।