Punjab News: वैसाखी के त्यौहार के बीच खालसा पंथ के प्रतीक श्री आनंदपुर साहिब में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया है। विशेष रूप से तख्त श्री केसगढ़ साहिब को रंग-बिरंगी लाइटों व रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। इसके साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जहां श्रद्धालुओं के आगमन के लिए सभी प्रकार के प्रबंध कर रही है, वहीं श्रद्धालु भी अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के लंगर का लगातार आयोजन कर रहे हैं।
यद्यपि दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना, बिहार में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश समय खालसा की धरती पर बिताया। 1699 में बैसाखी के दिन, दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने पंज प्यारों को अमृत पिलाया और उनसे अमृत प्राप्त किया, इस प्रकार खालसा पंथ की स्थापना हुई। हर साल बैसाखी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु तख्त श्री केशगढ़ साहिब पर मत्था टेकते हैं और गुरु के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
आज तख्त श्री केसगढ़ साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब आरंभ किया गया, जिसके भोग 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन डाले जाएंगे तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस अवसर पर विशेष रूप से अमृत संचार का कार्यक्रम रखा है ताकि श्रद्धालु जहां भी गुरु घरों में माथा टेकें, वहां अमृत पीकर गुरु वाले बन सकें।
बैसाखी जहां धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा त्योहार है, वहीं यह त्योहार पंजाब की खेती से भी जुड़ा है क्योंकि इस दिन किसान पके हुए सुनहरे गेहूं की कटाई और बिक्री शुरू कर देते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। बेटों की तरह पाली गई फसलें जब खेतों में पककर सुनहरे रंग में लहलहाती हैं, तो पंजाब के जाट जमींदार अपनी मेहनत पर गर्व करते हैं और खुशी में भांगड़ा नाचते हैं।