Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज नीति आयोग की टीम के समक्ष राज्य की स्थिति का जोरदार ढंग से बचाव किया तथा सहयोग मांगा ताकि एक तरफ पंजाब का समग्र विकास सुनिश्चित हो तथा दूसरी तरफ इसके हितों की भी रक्षा हो।
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और प्रोग्राम डायरेक्टर संजीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम के साथ चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सही समय है जब आयोग को पानी और कृषि से संबंधित पंजाब की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए उदारतापूर्वक मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पाकिस्तान के साथ 553 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है और छह जिले अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर और फाजिल्का सीमा पर स्थित हैं। भगवंत सिंह मान ने खेद व्यक्त किया कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को केंद्र सरकार की विशेष रियायतों से पंजाब के सीमावर्ती जिलों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर पंजाब के सीमावर्ती जिलों के साथ हाथ मिलाने की जरूरत है। सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष रियायती पैकेज की मांग करते हुए उन्होंने पंजाब के प्रत्येक सीमावर्ती जिले में कृषि-खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र स्थापित करने की वकालत की, जिसमें बासमती चावल उद्योग और लीची व अन्य फलों जैसे बागवानी उत्पादन पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। भगवंत सिंह ने सीमावर्ती जिलों में मौजूदा फोकल प्वाइंटों के नवीनीकरण और अमृतसर में एक प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र की स्थापना की भी वकालत की।
मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए पीएलआई की घोषणा की। योजना में कपड़ा क्षेत्र के लिए कर रियायत, उद्योग के लिए परिवहन सब्सिडी तथा सीमावर्ती जिलों के लिए रियायती ब्याज दरों पर ऋण और कार्यशील पूंजी की भी मांग की गई। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंटीली तार के दायरे में आने वाली जमीन के मालिकों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की 17,000 एकड़ से अधिक जमीन कंटीली तार के पार है। भगवंत मान ने कहा कि वर्तमान में किसानों को 15 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है। प्रति वर्ष प्रति एकड़ 10,000 रुपये की राशि दी जाती है, जिसे बढ़ाकर 10,000 रुपये किया जाना चाहिए। 30,000. उन्होंने आगे कहा कि यह मुआवजा केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से दिए जाने के बजाय पूरा मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये बहादुर किसान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा की दूसरी पंक्ति को मजबूत करने के संबंध में मुख्यमंत्री ने सभी 2107 सीमावर्ती गांवों के लिए बॉर्डर विंग होमगार्ड योजना को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रत्येक जवान के लिए 1999 में निर्धारित 45 रुपये प्रतिदिन ड्यूटी भत्ते को बढ़ाकर न्यूनतम 655 रुपये करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि बीएसएफ सीमावर्ती गांवों में गश्त कर रही है। यह दोनों के बीच बेहतर समन्वय के लिए आवश्यक है। भगवंत सिंह मान ने ड्रोन के माध्यम से नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए बुनियादी ढांचे और जैमर सहित अन्य उपकरणों के उन्नयन के लिए 2829 करोड़ रुपये की भी मांग की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरी सीमा का 4/5 से अधिक हिस्सा जामिंग सिस्टम से मुक्त है, जिसके कारण यह देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ी चुनौती है। भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘गतिशील पिंड प्रोग्राम’ में संशोधन करने की मांग की ताकि राज्य के अधिकतम सीमावर्ती गांवों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि पंजाब के सीमावर्ती जिलों की जनसंख्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य में सीमा से 10 किलोमीटर के दायरे में 1500 गांव हैं, जिनमें से केवल 101 गांवों को ही इस योजना के लिए चुना गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को रियायतें दी जानी चाहिए ताकि सीमावर्ती गांवों और कस्बों में आम लोगों की जरूरतें पूरी हो सकें। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के साथ हाल की झड़पों ने सीमावर्ती जिलों को युद्ध के लिए तैयार करने की आवश्यकता को उजागर किया है, जिसके तहत सीमावर्ती गांवों के लिए वैकल्पिक संचार मार्ग तथा शहरी आबादी के लिए बंकरों और हवाई आश्रयों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में आपातकालीन परिचालन केंद्र और अत्याधुनिक प्रतिक्रिया कमान एवं नियंत्रण केंद्र, स्ट्रीट लाइट के लिए सेंसर, सीमावर्ती शहरों में ट्रॉमा सेंटर और द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसी तरह भगवंत मान ने कहा कि वायुसेना, सेना और बीएसएफ के बीच सुचारू संचार के लिए सुरक्षित संचार लाइनें सुनिश्चित करने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, ‘गतिशक्ति प्रोग्राम’ के तहत संसाधनों की मैपिंग की जानी चाहिए और जिला सिविल डिफेंस को मजबूत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही आपदाओं के दौरान राहत कार्य भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें फास्ट ट्रैक पंजाब पोर्टल, समयबद्ध सेवाएं, व्यापार का अधिकार अधिनियम, रंग-कोडित स्टांप पेपर की शुरूआत और अन्य निवेश-अनुकूल कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा 14.4 प्रतिशत है, लेकिन राज्य सरकार इसे 2030 तक 20 प्रतिशत और 2047 तक 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए उत्सुक है। इसलिए भगवंत मान ने पंजाब के लिए परिवहन सब्सिडी की मांग की, जो पूरी तरह से भूमि सीमा से जुड़ा हुआ है, और छोटे निर्माताओं के लिए निर्यात संवर्धन पूंजीगत सामान (ईपीसीजी) योजना की तर्ज पर एक योजना के लिए कहा ताकि उनके उत्पाद देश के भीतर भेजे जा सकें।