Punjab News: बीबीएमबी द्वारा अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान पंजाब की कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा उठाए गए कदम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं है, बल्कि पंजाब के जल अधिकारों और किसानों के अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।
डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि भारत की आजादी के बाद से ही पंजाब को जल वितरण में हमेशा अनुचित रूप से विभाजित किया गया है। अवैध संधियों और कानूनों के माध्यम से पंजाब के अधिकारों को लूटा गया। उन्होंने कहा कि इसमें न केवल केन्द्र सरकार की भूमिका थी, बल्कि उस समय की पंजाब सरकार की भी भागीदारी थी।
उन्होंने मलोट विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि 50 वर्षों से अधिक समय से टेल पर बसे गांवों के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने बालमगढ़, रामगढ़, राम नगर, तरखानवाला आदि गांवों की स्थिति बताते हुए कहा कि यहां किसान कर्ज के कारण दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने को मजबूर हैं। घरों में रिश्ते नहीं थे, बाप-दादाओं का जीवन भी इन्हीं दुखों में बीता।
उन्होंने कहा कि ये वे गांव हैं जिन्हें अकाली और कांग्रेस नेताओं ने गोद लिया था और कई बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन हकीकत में उनकी कभी सुनवाई नहीं हुई। डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि एक दिन मुख्यमंत्री बुजुर्ग को अस्पताल ले गए। वह भगवंत सिंह मान से मिलने जालंधर गई थीं. वहां मुख्यमंत्री ने लोगों की पीड़ा सुनी और तुरंत काम शुरू करा दिया।
उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने वह साहस दिखाया है जो किसी अन्य सरकार ने नहीं किया। जब पानी की बात आई, जब गांवों की आवाज सुनने की बात आई, तो ये भगवंत मान साहब ही थे जिन्होंने कहा, “पहले पानी पहुंचेगा, फिर चुनाव चिन्ह।” उन्होंने कहा कि पहले लोगों को सम्मानजनक जीवन जीना चाहिए, उसके बाद राजनीति होगी।
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उन्होंने कहा कि आज मलोट हलके का सौभाग्य है कि मोघों की मरम्मत हो रही है तथा नहरों का पानी खेतों तक पहुंच रहा है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान और जल संसाधन मंत्री बीरेंद्र गोयल का विशेष आभार व्यक्त किया।
अंत में डॉ. बलजीत कौर ने मीडिया से अनुरोध किया कि यह महज एक कहानी नहीं है, बल्कि ऐसी कहानी है जो इन बुजुर्गों के मुंह से सुनी जानी चाहिए। क्योंकि 50 साल तक इन लोगों ने जो दर्द और तकलीफें झेली हैं, उसका जवाब भी इसी व्यवस्था को देना होगा।