Wednesday, July 30, 2025
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Punjab News: पंजाब में 11 साल बाद फिर से शुरू होगी बैल दौड़

Punjab News: पंजाब में कानूनी प्रतिबंधों के कारण लुप्त हो रहे विरासती ग्रामीण खेलों को पुनर्जीवित करने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा कि राज्य सरकार विरासती खेलों को बढ़ावा देने के लिए सभी कानूनी बाधाओं को दूर करेगी ताकि हमारी महान खेल विरासत का प्राचीन गौरव पुनः बहाल किया जा सके।

पंजाब विधानसभा में राज्य में बैल दौड़ को पुनः शुरू करने के लिए कानून पारित करने पर आज यहां बड़ी संख्या में विरासती खेल प्रेमियों ने मुख्यमंत्री को सम्मानित किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बैलगाड़ी दौड़ केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि ये दौड़ हमारी ग्रामीण विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में बैलगाड़ी दौड़ प्राचीन काल से आयोजित की जाती रही है और यह हमें हमारी संस्कृति और विरासत से जोड़े रखती है।

भगवंत मान ने कहा कि प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने करतारपुर साहिब में लंबे समय तक बैलों से खेती की थी। उन्होंने कहा कि बैल दौड़ पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून के क्रियान्वयन से न केवल विरासत के खेल प्रेमियों को बड़ा झटका लगा है, बल्कि हमारी पारंपरिक खेल विरासत भी नष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि पंजाबी लगातार दौड़ शुरू करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 11 जुलाई, 2025 को पंजाब विधान सभा में ‘पशु क्रूरता निवारण (पंजाब संशोधन), 2025’ सर्वसम्मति से पारित किया गया।

भगवंत मान ने कहा कि इस कानून से जहां पंजाब की देसी गायों की नस्लों को बचाने में मदद मिलेगी, वहीं बैलगाड़ी दौड़ को फिर से शुरू करने का रास्ता भी साफ हो गया है। उन्होंने कहा कि इस कानून को भारत के राष्ट्रपति द्वारा पारित किया जाना है, जिसके बाद बैल दौड़ आयोजित की जा सकेगी।

नए कानून का जिक्र करते हुए भगवंत मान ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य खेलों में भाग लेने वाले पशुओं के लिए सुरक्षा उपाय, पशुओं की पशु चिकित्सा देखरेख, सुरक्षा मानक, पंजीकरण और दस्तावेजीकरण के अलावा उल्लंघन पर दंड का प्रावधान करना है, ताकि मूक पशुओं को किसी भी प्रकार की क्रूरता का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार कबूतर दौड़ को फिर से शुरू करने की संभावनाओं का भी पता लगाएगी।

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मुख्यमंत्री ने किला रायपुर गांव में आयोजित खेलों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 1933 में शुरू हुए इन खेलों को ‘मिनी ओलंपिक’ या ‘ग्रामीण ओलंपिक’ कहा जाता है। उन्होंने कहा कि इन खेलों की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई है। इन खेलों को बीबीसी और डिस्कवरी जैसे प्रमुख चैनलों द्वारा कवर किया गया और यहां तक कि देश के राष्ट्रपति भी इन खेलों को देखने आए।

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