Punjab news: पंजाब सरकार ने औद्योगिक एवं व्यवसाय विकास नीति 2022 में संशोधन करके तथा धान की पराली आधारित बॉयलरों की स्थापना के लिए पूंजीगत सब्सिडी की नई योजना की घोषणा करके ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी, पराली प्रबंधन भी होगा, पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा और सबसे बड़ी बात ये कि इसका फायदा पंजाब के उद्योगों को भी होगा।
स्थानीय पंजाब भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने बताया कि धान की पराली पर आधारित बॉयलर लगाने के लिए पूंजीगत सब्सिडी देने का फैसला 13 फरवरी, 2025 को हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया था। इस संबंध में नोटिफिकेशन 20 फरवरी, 2025 को जारी किया गया, जबकि सब्सिडी देने के नियमों संबंधी पत्र 23 अप्रैल, 2025 को जारी किया गया। उन्होंने बताया कि कोयला, तेल या किसी अन्य बायोमास आधारित ईंधन का इस्तेमाल करने वाले मौजूदा उद्योग अगर धान की पराली पर आधारित नए बॉयलर लगाते हैं, तो उन्हें 8 टन प्रति घंटा बॉयलर पर 1 करोड़ रुपए या वास्तविक लागत का 33 प्रतिशत, जो भी कम हो, सब्सिडी मिलेगी। इसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपए प्रति इकाई है।
उन्होंने आगे बताया कि यदि मौजूदा उद्योग अपने बॉयलर को स्ट्रॉ-आधारित में अपग्रेड करते हैं, तो उन्हें 10 लाख रुपये की पूंजी सब्सिडी मिलेगी। 8 टन प्रति घंटा बॉयलर के लिए 50 लाख रुपये या वास्तविक लागत का 33%, जो भी कम हो। इसकी अधिकतम सीमा 2.5 करोड़ रुपये प्रति इकाई है। उन्होंने कहा कि अधिक क्षमता वाले बॉयलरों को भी आनुपातिक रूप से सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा।
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उद्योग मंत्री ने आगे बताया कि विभाग के अनुमान के अनुसार, इस नीति के माध्यम से पंजाब में 500 से 600 उद्योग सब्सिडी का लाभ उठाने के पात्र होंगे और लुधियाना के उद्योग को इससे बहुत लाभ होगा क्योंकि वहां बॉयलर आधारित उद्योगों की संख्या बड़ी है। पंजाब सरकार ने यह सब्सिडी प्रदान करने के लिए 60 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
सौंद ने आगे बताया कि इस नीति के तहत पंजाब सरकार पहले से ही धान की पराली के रख-रखाव और संरक्षण के लिए जमीन खरीदने वाले उद्योगों को स्टांप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दे रही है। इसके अलावा उद्योगों को 7 वर्षों तक 100 प्रतिशत राज्य जीएसटी प्रतिपूर्ति (कुल निवेश सीमा के 75 प्रतिशत तक) का लाभ भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान योजना का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने तथा धान की पराली प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए नई पूंजी सब्सिडी योजना से राज्य के पर्यावरण, किसानों तथा उद्योगों को तिगुना लाभ होगा।