Punjab News: पंजाबी विश्वविद्यालय में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से भारतीय टीवी विज्ञापनों में धोखाधड़ी के चौंकाने वाले रुझान का पता चला है। भूपिंदर सिंह बत्रा के नेतृत्व में शोधकर्ता डा. रुचिका द्वारा किए गए इस अध्ययन के तहत टीवी पर आने वाले विज्ञापनों में ‘भारतीय विज्ञापन मानक परिषद’ द्वारा तय मानकों के उल्लंघन की जांच की गई है।
शोधकर्ता डॉ. रुचिका ने बताया कि खाद्य एवं पेय उत्पादों के विज्ञापनों पर केंद्रित यह अध्ययन तीन प्रमुख चैनलों पर आधारित था। उन्होंने कहा कि अध्ययन से आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं कि 63 प्रतिशत प्राइम टाइम टीवी विज्ञापन भारतीय विज्ञापन मानक परिषद द्वारा निर्धारित मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं।
इन 63 प्रतिशत विज्ञापनों में से 87.7 प्रतिशत में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। अपने उत्पादों के स्वास्थ्य लाभों का बढ़ा-चढ़ाकर बखान करना या चमत्कारी परिणामों का दावा करना – जिससे लोगों का विश्वास और सच्ची जानकारी को नुकसान पहुंच रहा है। इनमें से लगभग 91.8 प्रतिशत टीवी विज्ञापनों ने परिषद की दो धाराओं का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि जंक फूड को पौष्टिक बताने या विज्ञापनों में बच्चों को लक्षित करने का चलन आम है। 39.7 प्रतिशत विज्ञापनों में उत्पाद का सेलिब्रिटी समर्थन शामिल था। उन्होंने कहा कि इनमें से 82 प्रतिशत विज्ञापन झूठे दावों से भरे हुए थे, जहां वैज्ञानिक तथ्यों या पुष्टि की तुलना में ‘स्टारडम’ को प्राथमिकता दी गई थी।
Punjab News: पंजाब में नशा मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम, निकाली जाएगी जागरूकता यात्रा
प्रोफेसर भूपिंदर सिंह बत्रा ने कहा कि यह उच्च-स्तरीय उल्लंघन उपयोगकर्ताओं के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है, खासकर तब जब ये विज्ञापन स्वास्थ्य और पोषण संबंधी तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हों। उन्होंने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि बिस्कुट के लगभग 60 प्रतिशत टीवी विज्ञापन दर्शकों को यह विश्वास दिलाकर गुमराह करते हैं कि ये ब्रेड और दूध के समान ही पोषण प्रदान करते हैं, जबकि वास्तविकता में ये चीनी और आटे से भरे होते हैं। इसी प्रकार, एक टोमैटो केचप ब्रांड अपने विज्ञापन में दावा करता है कि यह आपकी साधारण रोटी-सब्जी को स्वादिष्ट रोल में बदल सकता है, तथा ताजे टमाटरों को जादुई ढंग से सॉस में बदलता हुआ दिखाता है। लेकिन वास्तविक सच्चाई यह है कि इस उत्पाद में केवल 28 प्रतिशत टमाटर और 33.33 प्रतिशत चीनी है, जिसमें प्रत्येक 15 ग्राम में 4.8 ग्राम चीनी शामिल है – 100 ग्राम में 32 ग्राम चीनी – और इसमें परिरक्षक 211 भी है, जो ‘ताजगी’ के दावे को झूठलाता है।
उन्होंने कहा कि अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद को इस मामले में विभिन्न ब्रांडों को जवाबदेह ठहराने के लिए अधिक अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है। जैसे यह कानून बनाना कि पोषण संबंधी दावे स्क्रीन पर पूरे पांच सेकंड तक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए जाएं। कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने शोधकर्ता और पर्यवेक्षक को विशेष रूप से बधाई दी और कहा कि इस तरह के अध्ययनों को बड़े स्तर पर सामने लाने की जरूरत है ताकि आम लोग ऐसे बुरे रुझानों के प्रति जागरूक हो सकें और ऐसे विज्ञापनों के चंगुल में फंसने से बच सकें।