Thursday, November 28, 2024
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Plastic Free Village :भारत के इस गांव में नहीं यूस होती प्लास्टिक, लोगो को ना हो परेशानी ,इसके लिए खोला गया अनोखा बैंक

Plastic Free Village : भारत में लगभग 68 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, और इन गांवों में कुछ ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं, जो न केवल प्रेरणादायक होते हैं, बल्कि समाज के लिए आदर्श भी बन जाते हैं।

तेलंगाना का एक छोटा सा गांव, गुडेंड्डाग, भी इसी तरह का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां के लोग प्लास्टिक का पूरी तरह से बहिष्कार कर चुके हैं। इस गांव में हर किसी ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाकर स्वच्छता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

गुडेंड्डाग गांव में प्लास्टिक पर प्रतिबंध

तेलंगाना के मेडक जिले के नरसापुर मंडल स्थित गुडेंड्डाग गांव में स्थित 180 घरों में करीब 655 लोग रहते हैं। इस गांव ने सामूहिक रूप से प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने का निर्णय लिया। गांववालों का मानना है कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां फैल सकती हैं और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है। इस गांव में यह पहल एक मिसाल बन गई है, जहां सभी लोग स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।

स्टील बैंक और अन्य विकल्प

गांव में प्लास्टिक के बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए गांव में एक स्टील बैंक भी खोला गया है, जहां लोग किसी भी समारोह के दौरान स्टील के बर्तन लेकर जाते हैं। इससे न केवल प्लास्टिक के उपयोग में कमी आई है, बल्कि गांव में स्वच्छता भी बनी हुई है।

इसके अलावा, गांववाले अब बाजार से खरीददारी के लिए प्लास्टिक की थैलियों के बजाय कपड़े के थैले का इस्तेमाल करते हैं। उनका मानना है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करके वे अपने बच्चों के भविष्य और गांव के पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं।

स्वच्छता और गंदगी से मुक्ति

गुडेंड्डाग गांव ने न केवल प्लास्टिक का उपयोग बंद किया है, बल्कि खुले में शौच से भी मुक्ति पा ली है। यहां के लोग शौचालय का उपयोग करते हैं और गांव में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं। इस पहल ने न केवल गांव को स्वच्छ बनाया है, बल्कि यह अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणा भी बन गया है।

गुडेंड्डाग गांव ने यह साबित कर दिया है कि छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। गांववालों की यह पहल न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि यह उनकी जागरूकता और जिम्मेदारी को भी दिखाती है। वे चाहते हैं कि उनके जैसे गांव और इलाके भी इस पहल को अपनाएं, ताकि पूरे देश में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सके।

 

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