Village Lives Without Electricity: आज के दौर में बिजली के बिना जीवन की कल्पना कठिन है। चाहे वह बच्चों की पढ़ाई हो या घर के दैनिक कार्य, बिजली हर क्षेत्र में एक आवश्यक संसाधन बन चुकी है। लेकिन, श्रीकाकुलम शहर से 60 किमी दूर स्थित कुर्मा गांव इस धारणा को पूरी तरह चुनौती देता है। यह गांव आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से दूर, प्राचीन जीवनशैली को पूरी तरह अपनाए हुए है।
बिजली और गैस का उपयोग नहीं होता
कुर्मा गांव के निवासी न तो बिजली का उपयोग करते हैं और न ही गैस, पंखे, या मोटर जैसी सुविधाओं का सहारा लेते हैं। इसके बजाय, वे प्राकृतिक और प्राचीन तकनीकों के माध्यम से अपना जीवन जीते हैं। यहां के घर चूने और मिट्टी से बने ‘पेंकुटिल्लु’ कहलाते हैं, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहते हैं।
घर की बनावट और पारंपरिक सुविधाएं
गांव के हर घर का डिजाइन पारंपरिक है। प्रवेश द्वार से लगते ही एक बड़ा हॉल होता है, जिसके एक ओर पूजा कक्ष और रसोईघर बने होते हैं। रसोई में लकड़ी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है, जहां परिवार के लिए भोजन पकाया जाता है। घर के फर्श को मिट्टी और गाय के गोबर से लीपा जाता है, जो न केवल सफाई सुनिश्चित करता है बल्कि बैक्टीरिया से बचाव भी करता है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
यहां शौचालय भी पूरी तरह जैविक हैं। ‘जैव-शौचालय’ में राख का उपयोग कर अपशिष्ट को विघटित किया जाता है, जिससे जैविक खाद तैयार होती है। यह न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखता है, बल्कि कचरे के प्रबंधन का एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
कुर्मा गांव के निवासियों का जीवन हमें सिखाता है कि बिना आधुनिक सुविधाओं के भी खुशहाल और संतुलित जीवन जिया जा सकता है। हालांकि, यह कहना कठिन है कि ऐसी जीवनशैली सभी के लिए उपयुक्त होगी, लेकिन इस गांव की सादगी और प्रकृति से जुड़ाव आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।