रोहतक। रोहतक जिले में फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से लगातार नजर रखी जा रही है। सेटेलाइट के माध्यम से ऐसी तीन घटनाओं की सूचना मिली। संबंधित किसानों को नोटिस जारी किए गए तथा चालान कर 2500 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति चार्ज भी वसूला गया है।
उपायुक्त अजय कुमार ने जिले किसानों से आह्वान किया कि वह पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए फसल अवशेषों को आग के हवाले न करें। किसान फसल अवशेषों का कृषि यंत्रों की मदद से उचित प्रबंधन कर प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते है। इन फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते है। पशुओं के चारे के लिए किसान के खेत से पराली लाने के लिए जिला की सभी पंजीकृत गोशालाओं को 15 हजार रुपये की राशि किराये के रूप में दिये जाने का सरकार द्वारा प्रावधान किया गया है।
वर्तमान में 3354 कृषि यंत्र पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध हैं। इसके अलावा जिले में 142 कस्टम हायरिंग सेंटर भी स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को पराली प्रबंधन हेतु कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध हो सके। किसानों को पराली जलाने की हानि व फसल अवशेष प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करने के लिए तीन प्रचार-प्रसार वाहन भी चलाए जा रहें है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में किसान गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है।
सरकार की ओर से किसान हित में फसल अवशेष प्रबंधन योजना क्रियान्वित की जा रही है। इस स्कीम के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर श्रेणी में किसानों को 80 प्रतिशत व व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसके अलावा किसान द्वारा पराली की गांठे (एक्स सीटू प्रबंधन) और पराली को मिट्टी में मिलाने (इन सीटू प्रबंधन) के तहत 1000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा दी जाती है। इस योजना में किसानों ने अच्छी रुचि दर्शाई है और अब तक किसानों की ओर 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि का पंजीकरण करवाया जा चुका है।