MP News, जनजातीय कार्य विभाग के अधीन मप्र आदिवासी वित्त एवं विकास निगम द्वारा तीन नई वित्तीय सहायता योजनाएं संचालित की जा रही हैं। भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना के माध्यम से जनजातीय वर्ग के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनके समग्र कल्याण के लिये हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं।
मप्र आदिवासी वित्त एवं विकास निगम को ‘भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना’ के तहत 1000 हितग्राही वार्षिक लक्ष्य के विरूद्ध 31 मार्च 2024 तक कुल 6 हजार 463 आवेदन मिले। इनमें से बैंकों द्वारा 1094 आवेदन मंजूर कर 904 पात्र हितग्राहियों को 33 करोड़ 70 लाख 47 हजार 620 रूपये की वित्तीय सहायता वितरित की गई।
इस योजना में जनजातीय वर्ग के युवाओं को विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक लाख से 50 लाख रूपये तथा सेवा व व्यवसाय गतिविधियों के लिए एक लाख से 25 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता बैंकों के माध्यम से दी जाती है।
इसके लिए परिवार की वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। योजना के अन्तर्गत हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित, शेष ऋण पर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम 7 वर्षों तक मोरेटोरियम अवधि सहित निगम द्वारा वहन किए जाने का प्रावधान है।
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योजना में इच्छुक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान है। योजना का क्रियान्वयन शासन द्वारा निर्धारित ‘समस्त पोर्टल’ के माध्यम से किया जा रहा है, तथा पोर्टल पर यह योजना ‘मुख्यमंत्री उद्यम कांति योजना’ से समन्वित होती है।
जिलास्तर पर योजना का क्रियान्वयन सहायक आयुक्त/जिला संयोजक/शाखा प्रबंधक, मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम एवं महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम से किया जा रहा है।
योजना के तहत वर्ष 2024-25 हेतु सभी जिलों के सभी बैंकों को वार्षिक लक्ष्य तय कर दिये गये हैं। साथ ही संबंधित अधिकारियों को योजना के क्रियान्वयन के संबंध में समुचित निर्देश भी जारी किये गये है। योजना के तहत पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन प्रारम्भ हो चुके है। इच्छुक व्यक्ति पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं।