MP News, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के स्वर्ण जयंती सभागार में भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में शब्दावली में परिवर्तन पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुक्रवार को सम्पन्न हुई।
मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में दस से अधिक राज्यों के विशेषज्ञ विद्वानों और शिक्षाविदों ने भाग लिया। दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में समापन दिवस पर तीन तकनीकी सत्र हुए।
कार्यशाला का समापन 28 जून, शुक्रवार को अपराह्न में हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि श्री अशोक कड़ेल, संचालक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल थे और अध्यक्षता प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने की।
विशिष्ट अतिथि प्रो विरुपाक्ष जड्डीपाल, सचिव, महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा थे। कार्यशाला के उद्देश्य एवं उपलब्धियां पर कुलानुशासक एवं मुख्य समन्वयक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि अशोक कड़ेल, संचालक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजियत हावी हो गई थी, शब्दावली के माध्यम से उसे पुनः भारतीयता की ओर ले जाने की आवश्यकता है।
मध्य प्रदेश शासन के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ी 27 विषय क्षेत्रों की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इनमें से विक्रम विश्वविद्यालय ने शब्दावली परिवर्तन पर सबसे पहले कार्यशाला आयोजित कर ऐतिहासिक कार्य किया है।
शब्द के विशिष्ट अर्थ होते हैं, उनकी अपनी महिमा है। ज्ञान परंपरा से प्रत्येक विषय और उसकी शब्दावली को जोड़ने की आवश्यकता है। शब्दावली के माध्यम से विद्यार्थियों तक भारतीय जीवन दर्शन को पहुँचाने के लिए इस प्रकार के आयोजन महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। भारतीयता से जुड़ी शब्दावली पुस्तकों में किस प्रकार विद्यार्थियों तक पहुंचे, इस दिशा में जागृति आवश्यक है।