13 फरवरी को होने वाले किसानों के दिल्ली पलायन से पहले जहां हरियाणा सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं केंद्र भी किसानों के इस पलायन से चिंतित है, क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, जिसके चलते सरकार नहीं चाहेगी कि किसानों का पहले की तरह आंदोलन। ताकि उन्हें चुनाव जीतने में आसानी हो। इसके चलते एक केंद्रीय टीम ने चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में किसान संगठनों के साथ बैठक की है।
केंद्र की इस टीम में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नित्यानंद रॉय और अर्जुन मुंडा शामिल हैं। इसके अलावा इस बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंजाब के कई अधिकारी भी मौजूद थे। साफ है कि पंजाब सरकार की ओर से किसानों के साथ बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत मुख्यमंत्री भगवंत मान भी बैठक में शामिल हुए और पंजाब सरकार के अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहे।
बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया को संबोधित किया और कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की यह बैठक बहुत ही सार्थक माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में केंद्र के तीन मंत्री शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि कई लंबी बैठकें हुईं, जिसमें किसानों ने अपना पक्ष रखा और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, कृत्रिम बीज, दवा और स्प्रे बनाने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई समेत कई मांगें रखीं। कड़ी सजा देने की बात कही गयी, जिसे लेकर मौके पर ही सहमति बन गयी।
मुख्यमंत्री मान का कहना है कि हम नहीं चाहते कि मांगों को मनवाने के लिए हम मार्च करें और ट्रैक्टर लेकर दिल्ली जाएं और किसी को कोई नुकसान हो। उन्होंने कहा कि भले ही उन्हें इस समिति से मिलने के लिए दिल्ली जाना पड़े, लेकिन उन्होंने इस समिति को यहां आमंत्रित किया है। मुख्यमंत्री मान का कहना है कि बैठकों का दौर जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उनके लिए खड़ा होऊं, यही कारण है कि मैं एक वकील के रूप में केंद्र के समक्ष उनके लिए खड़ा हुआ हूं। उन्होंने कहा कि अगर हमें पंजाब स्तर पर बैठक करनी पड़ी तो वह भी करेंगे। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि एमएसपी को लेकर मंत्रियों ने भी कहा कि पॉलिसी डिजाइन यहां नहीं हो सकती, जिस पर दिल्ली जाकर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि धरना देकर समय मांगने की बजाय हमें उन्हें पहले ही बुलाकर अपनी मांगें रखनी चाहिए ताकि धरना देने की जरूरत ही न पड़े।