Saturday, May 10, 2025
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हरियाणा में मातृ मृत्यु दर घटकर 106 पर आई

चंडीगढ़ : हरियाणा की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री कुमारी आरती सिंह राव के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग पूरे राज्य में मातृ स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए अपने अथक प्रयास कर रहा है।

स्वास्थ्य विभाग गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान और प्रसवोत्तर देखभाल सेवाएँ प्रदान करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधा में आने वाली प्रत्येक गर्भवती महिला को व्यापक और सम्मानजनक देखभाल मिले।

हरियाणा की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा, “भारत में मातृ मृत्यु दर पर नवीनतम नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) विशेष बुलेटिन (2019-21) के अनुसार, हरियाणा में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 110 (2018-20) से घटकर 106 हो गई है – जो 4 अंकों का सुधार है। हरियाणा सरकार एमएमआर को 70 से नीचे लाने के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है। मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को कम करना प्राथमिकता बनी हुई है। गर्भावस्था से लेकर प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि तक हर चरण में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पहुंच और प्रभावशीलता में सुधार के लिए कई रणनीतिक पहलों को लागू किया गया है।”

उन्होंने कहा कि राज्य में संस्थागत प्रसव 2024-25 में (स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार) बढ़कर 98.3% हो गया है। मातृ स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने के लिए, सरकारी प्रसव केंद्रों पर सभी प्रसव कक्षों को आधुनिक किया गया है। ये कक्ष आवश्यक दवाओं, उपकरणों और रसद से पूरी तरह सुसज्जित हैं। सुरक्षित प्रसव और बेहतर मातृ परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रसव कक्ष प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन किया जा रहा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), हरियाणा के मिशन निदेशक डॉ. रिपुदमन सिंह ढिल्लों ने बताया कि एनएचएम हरियाणा ने कई प्रभावशाली नीतियों और कार्यक्रमों को शुरू किया है और प्रभावी ढंग से लागू किया है, जिसमें उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की व्यवस्थित पहचान और प्रबंधन के लिए उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) मार्गदर्शन नोट, उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं को संबोधित करने पर केंद्रित एक समर्पित मासिक अभियान जननी सुरक्षित माह, राज्य भर में प्रसवपूर्व देखभाल सेवाओं को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का विस्तार और राज्य तथा जिला स्तर पर नियमित निगरानी शामिल है। इससे जवाबदेही और बेहतर सेवा वितरण सुनिश्चित होता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) और जननी सुरक्षा योजना जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाएं राज्य में प्रभावी रूप से लागू की जा रही हैं। जेएसएसके के तहत, सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने वाली गर्भवती महिलाओं को मुफ्त दवा, निदान, आहार, रक्त आधान और रेफरल परिवहन की सुविधा मिलती है। इसमें महिलाओं की जेब से कोई खर्च नहीं होता है।

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