Thursday, January 16, 2025
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Marriage First Night : शादी की पहली रात क्यों कहलाती है सुहागरात? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

Marriage First Night : शादी का सीजन आते ही हर तरफ बारात के बैंड-बाजे और शादी की तैयारियों की हलचल देखने को मिलती है। सोशल मीडिया भी इन दिनों शादी की तस्वीरों और वीडियो से भरा हुआ है। शादी, हमारे समाज में, एक बेहद महत्वपूर्ण संस्कार है। इसे सभी धर्मों और संप्रदायों में अपने-अपने रीति-रिवाजों और रस्मों के साथ मनाया जाता है। खासकर, हिंदू धर्म में शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है।

इस दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं, जैसे- जयमाला, सिंदूरदान, सात फेरे, कन्यादान, और गठबंधन। इनमें से शादी के बाद की रस्मों का भी अपना महत्व है, जिनमें सुहागरात या First Night भी शामिल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी की पहली रात को “सुहागरात” क्यों कहा जाता है? आइए, इस दिलचस्प परंपरा और इसके पीछे छिपी कहानी को समझते हैं।

सुहागरात: क्या है इसका महत्व?

शादी का हर पल दूल्हा-दुल्हन के लिए खास होता है। सुहागरात, शादी के बाद की एक महत्वपूर्ण रस्म है, जिसे नवविवाहित जोड़े के नए जीवन की शुरुआत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दौरान पति-पत्नी पहली बार एक-दूसरे के साथ अपने भावनात्मक और व्यक्तिगत बंधन को मजबूत करते हैं।

हालांकि, यह रस्म सदियों से हमारे समाज का हिस्सा रही है, लेकिन इसे लेकर लोग खुलकर बात करने में हिचकिचाते हैं। इसके बावजूद, यह रस्म कई मायनों में आवश्यक मानी जाती है, क्योंकि यह नए रिश्ते को गहराई देने का पहला कदम होता है।

“सुहागरात” शब्द का अर्थ और उत्पत्ति

अब सवाल यह उठता है कि पहली रात को “सुहागरात” क्यों कहा जाता है। इस शब्द की जड़ें संस्कृत भाषा में हैं। “सुहाग” शब्द, संस्कृत के “सौभाग्य” से निकला है। सौभाग्य का अर्थ है शुभ या अच्छा भाग्य। शादी के बाद, महिला को “सुहागन” कहा जाता है, जो पति के शुभ और समृद्ध जीवन का प्रतीक है।

सुहाग की निशानियां जैसे- सिंदूर, चूड़ियां, पायल, बिछिया, और मंगलसूत्र, विवाहिता स्त्री के सुहाग का प्रतीक माने जाते हैं। जब एक महिला सुहागन बनती है, तो शादी के बाद की पहली रात को “सुहागरात” कहा जाता है।

परंपरा और आधुनिकता

आज के समय में, सुहागरात केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह नवविवाहित जोड़े के लिए एक खास और यादगार पल है। यह पल न केवल उन्हें नए जीवन की शुरुआत का एहसास कराता है, बल्कि उनके रिश्ते को मजबूत करने का अवसर भी देता है। हालांकि, बदलते समय के साथ, लोग इन परंपराओं को अलग-अलग तरीकों से अपनाने लगे हैं।

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