माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रुप में पाने के लिए बहुत कठिन तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा था तब जाकर भगवान शिव उन्हें पति के रुप में प्राप्त हुए थे। इसलिए सुहागिन स्त्रियां हर साल भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस साल 18 सितंबर को ये व्रत रखा जायेगा। यदि आप भी पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रखने जा रही हैं तो इन खास बातों का ध्यान अवश्य रखें।
पहली बार हरतालिका तीज व्रत में इन बातों का रखें खास ख्याल
अगर आप पहली बार हरतालिका तीज व्रत रखने जा रही हैं तो अपनी क्षमता के अनुसार ही व्रत का संकल्प लें। क्योंकि उसे आजीवन निभाना पड़ता है। निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें तो उसे पूरा जरुर करें।
हरतालिका तीज व्रत 24 घंटे के लिए रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के सूर्योदय से होती है और अगले दिन चतुर्थी के सूर्योदय पर ये समाप्त होता है।
शास्त्रों में हरतालिका तीज में अन्न, जल का त्याग करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में भोजन करने वाली व्रती को अगले जन्म वानर और पानी पीने से अगले जन्म में मछली के रुप में जन्म लेना पड़ता है। अगर आप निर्जला व्रत करने में सक्षम न हो तो फलाहार व्रत कर सकती है।
एक बार हरतालिका तीज का व्रत शुरू कर दिया तो इसे बीच में छोड़ा नहीं जा सकता। व्रती के जीवनकाल तक इसका पालन करना पड़ता है। अगर किसी कारणवश ये व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर दें और परिवार की दूसरी महिला को ये व्रत सौंप दें ताकि क्रम बना रहे।
इस दिन सुहागिनों को 16 श्रृंगार कर शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। मेहंदी जरुर लगायें। मान्यता है इससे शंकर जी जल्द प्रसन्न होकर समस्त मनोकामना पूरी करते हैं।
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