Thursday, November 21, 2024
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हरियाणा में मरीजों के लिए जरूरी खबर, कल से बंद रहेगी अस्पतालों में ओपीडी, जाने क्या है वजह

हरियाणा। हरियाणा में मरीजों को बड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि सरकारी डॉक्टरों ने एक बार फिर से बुधवार को ओपीडी को बंद करके हड़ताल करने का ऐलान किया है। इस दौरान केवल इमरजेंसी में ही लोगो का इलाज होगा। डॉक्टरों का कहना है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गयी तो इसके बाद वो लम्बे समय तक सभी सेवाएं बंद करके हड़ताल पर बैठ जायेंगे।

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में दो दिन की छुट्टी के बाद आज से ओपीडी शुरू हो गयी है। दो दिन बाद ओपीडी खुलने से आज मरीजों की काफी संख्या में भीड़ रहेगी। लेकिन कल यानी बुधवार को डॉक्टरों की हड़ताल के कारण OPD पूरी तरह से बंद रहेगी। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने घोषणा करते हुए बताया कि अगर डॉक्टरों की मांगे न मानी गई तो 29 दिसंबर से ओपीडी पूरी तरह से बंद होने के साथ-साथ इमरजेंसी सेवाएं भी बंद हो जाएंगी। ऐसे में ये सप्ताह सरकारी अस्पताल में उपचार करवाने के लिए आने वाले मरीजों के लिए भारी पड़ने वाला है।

एसोसिएशन की ये 4 प्रमुख मांगें

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन की ओर से चार प्रमुख मांगे रखी गई हैं। इनमें डॉक्टरों के लिए एक विशेषज्ञ कैडर का गठन, गतिशील सुनिश्चित कैरियर प्रगति (ACP) योजना लागू हो, SMO की सीधी भर्ती पर तुरंत रोक लगाई जाए और पीजी के लिए बॉन्ड राशि 1 करोड़ से 50 लाख किए जाने की मांग शामिल है।
पहले भी बंद कर चुके ओपीडी

आपको बता दें कि अपनी मांगों को लेकर हरियाणा के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर पहले भी दो घंटे के लिए ओपीडी बंद कर चुके हैं। इसके अलावा काले बिल्ले लगाकर रोष प्रदर्शन भी कर चुके हैं। वहीं मौसम में बदलाव के चलते वायरल मरीजों की ओपीडी बढ़ रही है। कोरोना के नए वैरिएंट का खतरा भी मंडरा रहा है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में फिजीशियन न होने के चलते उपचार नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को उपचार के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है।

सरकार के साथ हो चुकी मीटिंग

सरकार ने एसोसिएशन को बातचीत के लिए बुलाया था, जिसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा सहित स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में डॉक्टरों की मांगों को लेकर चर्चा की गई, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रमों के लिए बॉन्ड राशि के मुद्दे को छोड़कर उनकी प्रमुख मांगों पर शीर्ष अधिकारियों से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।

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