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प्यार हो तो ऐसा, मौत के बाद भी नहीं छूटा साथ, पति की मौत
Friday, November 22, 2024
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प्यार हो तो ऐसा, मौत के बाद भी नहीं छूटा साथ, पति की मौत के बाद पत्नी ने भी त्यागे प्राण, एक साथ उठी दोनों की अर्थी

हांसी। कहते हैं प्यार हो तो ऐसा जो मरने के बाद भी खत्म न हो। शादी सात जन्मों का साथ होता है। पति और पत्नी एक दूसरे के सुख-दुख के साथी होते हैं और साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं। जीवन के हर उतार-चढ़ाव में पत्नी अपने पति का साथ देती है। दोनों के बीच का रिश्ता इतना अटूट होता है कि इसे कोई तोड़ नहीं सकता। लेकिन कई बार मौत दो जोड़ों को जुदा करने में कामयाब हो जाता है।

वहीं हरियाणा में हिसार जिले के हांसी सिटी से एक ऐसा मामला सामने आया है जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल पति पत्नी को मौत भी अलग नहीं कर सका। 60 साल से अधिक शादी के बंधन को निभाने वाली पत्नी ने पति के आखिरी सफर में भी उसका साथ दिया। पति की मौत के 5 घंटे बाद पत्नी ने भी अपने प्राण त्याग दिए और पति के आखिरी सफर में पत्नी ने साथ निभाया।

बुजुर्ग दंपति हरबंस लाल सेठी व कृष्णावंती की फाइल फोटो

पत्नी को नहीं दी गई थी पति की मौत की सूचना

हांसी सिटी के गोसाई गेट के पास के निवासी ज्योतिषाचार्य दर्शन सेठी के माता-पिता ने साथ जिएंगे-साथ मरेंगे की बात को सच में चरितार्थ कर दिया। दर्शन सेठी के पिता करीब 81 वर्षीय हरबंस लाल सेठी व करीब 78 साल माता कृष्णावंती सेठी में काफी प्यार था। मंगलवार सुबह हरबंस लाल सेठी का निधन हो गया। उस समय बुजुर्ग दंपति के दोनों बेटे भी घर पर ही थे और उन्होंने पिता हरबंस लाल सेठी के निधन की सूचना अपनी माता कृष्णवंती को नहीं दी। दोपहर बाद 3 बजे हरबंस लाल सेठी के अंतिम संस्कार का समय रखा गया था और घर में इसकी तैयारी चल रही थी।

एक साथ हुआ अंतिम संस्कार

तैयारियों को देख कृष्णवंती को अनहोनी का अहसास हो गया था। वह बार बार पूछ रही थीं, जिसके बाद उन्हें पति की मौत की सुचना मिल गई। जब उनके अंतिम संस्कार का सामान अभी घर आया ही था कि इतने में पता चला कि उनकी पत्नी कृष्णवंती सेठी ने भी शरीर छोड़ दिया है। इसके बाद यह चर्चा का विषय बन गया। लोग घर पर इकट्ठा हो गए। 2 मोक्ष वाहन घर पर बुलाए गए और दोनों की एक साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। मौत के बाद दोनों की शवयात्रा भी साथ साथ निकाली गई। दोनों का अंतिम संस्कार एक ही समय, एक साथ सिसाय रोड स्थित श्मशान भूमि में कर दिया गया। यह दृश्य देखकर लोगो की आंखे नम हो गई।

कर्म पर विश्वास रखने वाली पवित्र रुहें

दोनों की मौत के बाद लोगों के बीच दोनों की प्यार भरी कहानी चर्चा का विषय बन गयी है। वहीं लोग कह रहे हैं कि ऐसे जोड़े विरले ही होते हैं जो साथ जीने मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं। भाई श्याम सुंदर गुरुद्वारा गांधीनगर कॉलोनी के संचालक भाई हरिंद्र सिंह नांगरु ने सेठी दम्पति के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में दोनों में काफी प्यार था। दोनों कर्म पर विश्वास रखने वाली पवित्र रुहें थीं और दोनों ने एक ही दिन संसार से विदाई ले ली।

नहीं होता था लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव

बुजुर्ग दंपति के पुत्रों का कहना है कि मां और पिताजी में बहुत प्यार था, 60 साल से अधिक हो चुके थे उनकी शादी को फिर भी दोनों में कभी लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव नहीं होता था। हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमारे सिर से माता पिता का साया एक ही बार में उठ गया है। ईश्वर दोनों की आत्मा को शांति दे और हर जन्म में वे ही हमारे माता-पिता बनें। दोनों की एक साथ मौत से पूरा परिवार दुखी है, लेकिन शादी के बाद से दोनों साथ थे और मौत भी उनको जुदा नहीं कर सका, इस बात की खुशी है।

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