High court, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मोटर वाहन हादसे में अपना हाथ गंवाने वाले पीड़ित को मुआवजे का हकदार मानते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी अस्पताल से निकल कर ऑपरेशन के लिए निजी अस्पताल का चुनाव करना इलाज में लापरवाही नहीं माना जा सकता है. ऐसे में याची की इस संदर्भ में दी गई दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़ित को मुआवजे का पात्र करार दिया.
याचिका दाखिल करते हुए मोटर वाहन मालिक अमनदीप सिंह ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रोपड़ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे हादसे में हाथ गंवाने वाले कारपेंटर कर्मजीत सिंह को मुआवजे के रूप में 6 लाख 84 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था.
शिकायत के अनुसार कर्मजीत सिंह अपने पिता के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहा था. इस दौरान याची अपनी बाइक पर लापरवाही से आया और शिकायतकर्ता की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. जहां कर्मजीत व उसके पिता गिर गए और बुरी तरह से घायल हो गए. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया.
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इलाज के दौरान कर्मजीत सिंह की बाजू काटनी पड़ी और इस मामले में ट्रिब्यूनल ने याची को मुआवजे की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया. वहीं, याची ने कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज जारी रखने के स्थान पर शिकायतकर्ता ने डाक्टरों की सलाह के खिलाफ जाकर एक निजी अस्पताल में इलाज आरंभ किया और बाद में उसे अपनी बाजू गंवानी पड़ी. याची ने कहा कि यह शिकायतकर्ता की इलाज में लापरवाही थी.
जिसका नतीजा उसे बाजू गंवा कर भुगतना पड़ा. ऐसे में याची को इसके लिए मुआवजा देने को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने याची की इस संदर्भ में दी गई दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़ित को मुआवजे का पात्र करार दिया.