हरियाणा गठन के बाद पहली बार प्रदेश का राज्य गीत बनाया गया है। जिसे कैथल जिले के गांव देवबन के रहने वाले डॉ. श्याम शर्मा ने गाया है। उनकी मधुर आवाज में गाए गए इस गीत को सभी ने पसंद किया है। वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में डा. श्याम शर्मा की मधुर आवाज की प्रशंसा की है।
राज्य गीत के गायक डॉ. श्याम शर्मा ने इस संबंध में बातचीत में बताया कि इस गीत को पानीपत के डॉ. बालकिशन शर्मा द्वारा लिखा गया है। इसे गाने के लिए सरकार ने कई म्यूजिक डायरेक्टर से आवेदन मंगवाए थे। उनके म्यूजिक डायरेक्टर मालविका पंडित ने उनकी टीम को यह गाना गाने को दिया। चूंकि मैंने हरियाणवी फिल्म दादा लखमी चंद, गंगा जी, कलयुग सॉंग सहित कई अवसरों पर हरियाणवी गायिकी में अपनी प्रस्तुति दी है और इसे लोगों ने पसंद भी किया था। इसलिए उन्हें यह गीत दिया गया। गीत को समझने, उसके संगीत, उसके भावों व अन्य सभी बातों को समझने में उन्हें काफी समय लगा। कई बार गाकर देखा लेकिन जब तक रूह में उतरकर किसी गीत को न गाया जाए, तब तक उसमें वह सफलता नहीं मिल पाती।

मौका मिलेगा तो वे इसे लाइव गाएंगे
मैंने इसे पूरी तरह से आत्मसात करके जय जय जय हरियाणा गीत गाया तो सभी को अच्छा लगा। यह बड़ी खुशी की बात है कि मेरा गाया हुआ गीत, हरियाणा के राज्य गीत के तौर पर चयन हुआ है और इसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। अभी तक उन्होंने इस गीत का लाइव प्रदर्शन नहीं किया है। जैसे ही मौका मिलेगा तो वे इसे लाइव भी गाएंगे।
सुरेश गोपाल श्रीखंडे से संगीत के गुर सीखे
डा. श्याम शर्मा ने कहा कि संगीत का वातावरण उन्हें घर में ही मिला। उनका जन्म देवबन गांव में चार जून 1990 को मशहूर सांगी एवं जिला सूचना एवं जन संपर्क विभाग कैथल से सेवानिवृत बलबीर शर्मा के घर हुआ। पिताजी के नक्शे कदम पर चलते हुए बचपन से ही उन्हें म्यूजिक का शौक रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने संगीत को अपने जीवन में उतारा है। उन्होंने अपने पिता व भाई के साथ कैथल जनसंपर्क विभाग के कार्यक्रमों में भी जाना शुरू किया। पढ़ाई के साथ-साथ कॉलेज समय के बाद वे कुरुक्षेत्र जाकर संगीत की शिक्षा लेते थे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में संगीत विभाग से सेवानिवृत सुरेश गोपाल श्रीखंडे से संगीत के गुर सीखे। उन्होंने संगीत का तकनीकी ज्ञान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संगीत विभाग से मुनीष से प्राप्त किया है। पीएचडी में उनकी गाइड सूची सुमिता से संगीत के सभी पहलुओं के बारीकी से जानकारी ली। उन्होंने 2019 से प्रोफेशनल गायकी शुरू कर दी और पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते चले गए।
उन्होंने म्यूजिक में पीएचडी की। इस समय वे कुरूक्षेत्र के राजकीय संस्कृति मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में संगीत प्राध्यापक के तौर पर कार्य कर रहे हैं। वह दो भाई तथा दो बहनों में सबसे छोटे हैं। उन्हें संगीत का गुण विरासत में मिला है।