कुरुक्षेत्र। उपायुक्त राजेश जोगपाल ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि धान कटाई के सीजन में धान के अवशेषों में आग न लगाए अपितु उसका प्रबंधन करें। पराली में आग लगाने से खेतों की मिट्टी को बहुत नुकसान पहुंचता है और वातावरण भी दूषित होता है। अत किसान या तो धान अवशेषों को मशीनरी की सहायता से मिट्टी में मिश्रित कर दें अथवा स्ट्रा बेलर से पराली की बेल बनवा लें।
धान की पराली में आगजनी को रोकने के लिए विभिन्न टीमों का गठन कर दिया गया है जो गाव, खंड व जिला स्तर पर निगरानी करेंगी और अवहेलना करने वाले किसानों को जुर्माना भी लगाएगी।उप कृषि निदेशक डा. कर्मचन्द ने कहा कि पराली प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग के कार्यालय में बेलर मालिकों तथा पराली की बेल की खरीद करने वाले उद्योगपतियों की मीटिंग बुलाई गई ताकि दोनों पक्षों में समाजस्य बनाया जा सके। बेलर मालिकों को कार्य करने के लिए जिले के अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करने के लिये निर्देश दिए गए ताकि जिले के सभी किसानों को इसका फायदा मिल सके। आलू लगाने वाले किसानों के कार्य को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के लिए भी निर्देश दिये गए इसके साथ-साथ बेल बनाने के बाद शीघ्रता से उनका उतान भी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया।
सहायक कृषि अभियन्ता राजेश वर्मा ने बताया कि जिला कुरुक्षेत्र में लगभग 6 लाख टन पराली की पैदावार होती है और इसके समूचित प्रबन्धन हेतू 496 कस्टम हायरिंग स्थापित किए जा चुके है। जिनमें पराली प्रबंधन हेतू 2220 मशीनें उपलब्ध है। इसके साथ ही सीएचसी व एकल किसानों के पास 206 स्ट्रा बेलर उपलब्ध भी है तथा पराली की बेल खरीदने के लिए सैनसन्स पेपर्स मिल्स बाखली एवं हिन्द समाचार ग्रुप छज्जूपुर जैसे पावर प्लांट व पराली आधारित अन्य छोटे उद्योग जिला कुरुक्षेत्र में उपलब्ध है।