गरिमा टाइम्स न्यूज. रोहतक। फेसबुक पर विदेश जाने का विज्ञापन देखने के बाद एक युवक को कनाडा जाने की लालसा हुई। वह विज्ञापन के माध्यम से चंडीगढ़ उनके ऑफिस में पहुंचा और वहां पर उन्होंने 12 लाख रुपए की डिमांड की। लेकिन उन्होंने बाद में 7 लाख 26 हजार में भेजने की बात कहीं। रुपए व सभी कागजात जमा करवाने के बाद उन्होंने पीड़ित के फोन उठाने तक बंद कर दिए।
शिकायत पर कंज्यूमर कोर्ट ने फैसला दिया कि निजी कंपनी बची हुई दो लाख बीस हजार रुपए की राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए और अन्य खर्चों के लिए मुआवजे के रूप में 6 हजार रुपए की राशि भी दें।
पीड़ित विकास ने सोशल मीडिया के माध्यम से चंडीगढ़ में विपक्षी पार्टियों के कार्यालय का दौरा किया। जहां उनके रिसेप्शनिस्ट ने उनसे शैक्षिक और अन्य दस्तावेज मांगे। दस्तावेज देखने के बाद, उसने कनाडा में एचएमवी ड्राइवर के पैकेज की पेशकश की और वीजा कार्यवाही के लिए 12 लाख रुपये की मांग की। उनका सौदा 7,26,100 रुपए पर तय हुआ और शिकायतकर्ता ने कुल राशि रुपए के साथ आवश्यक दस्तावेज यानी पासपोर्ट, 10वीं और 12वीं कक्षा की मार्कशीट जमा कीं। 7,26,100/- विभिन्न तिथियों पर नकद और ऑनलाइन मोड के माध्यम से।
शिकायतकर्ता द्वारा 20.01.2023 को आवेदन जमा करने पर, उसका बायोमेट्रिक सत्यापन और बायोमेट्रिक नियुक्ति 27.01.2023 के लिए तय की गई थी। जो उसी दिन पूरी हो गई थी। लेकिन, इसके बाद विपक्षी दलों ने शिकायतकर्ता के फोन कॉल को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और उसकी वीजा स्थिति के बारे में कोई अपडेट नहीं दिया। कई महीनों तक इंतजार करने और दिनांक 06.04.2023 को ईमेल भेजने के बाद, जिसमें शिकायतकर्ता ने विपक्षी पार्टियों से उसके पैसे वापस करने और उसके दस्तावेज वापस करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
पीड़ित को पांच लाख रुपए पहले दे चुकी है कंपनी
निजी कंपनी शिकायतकर्ता को 7,26,100 रुपए में से 5,00,000 रुपए की राशि वापस कर दी और शेष राशि 2,26,100 रुपये का भुगतान करने से इनकार कर दिया और मार्कशीट वापस करने से भी इनकार कर दिया। शिकायतकर्ता की 10वीं और 12वीं कक्षा की। शिकायतकर्ता को दिनांक 17.08.2023 को एक कानूनी नोटिस भी दिया गया लेकिन विपक्षियों ने न तो कानूनी नोटिस का कोई जवाब दिया और न ही शेष राशि और दस्तावेज वापस किए।