Friday, May 17, 2024
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DSP जोगिंदर शर्मा की याचिका को लेकर हरियाणा सरकार को लगा बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने माँगा IPS पदोन्नति पर जवाब

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चंडीगढ़। DSP जोगिंदर शर्मा की याचिका को लेकर हरियाणा सरकार को बड़ा झटका लगने का मामला सामने आया है। दरअसल पूर्व क्रिकेटर डीएसपी जोगिन्दर शर्मा ने आईपीएस पदोन्नति की सूची में उनका नाम न होने के कारण हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दायर की। इस मामले में सुनवाई करने के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को जवाब तलब करने का नोटिस जारी किया है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीएस पदोन्नति याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर होगी।

डीएसपी जोगिंदर शर्मा जो खेल कोटा के तहत हरियाणा पुलिस में डीएसपी के रूप में कार्यरत हैं, उन्होंने आईपीएस अधिकारियों के रूप में पदोन्नति के लिए विचार किए गए लोगों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं करने के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर स्पष्ट कर दिया कि 2021 की चयन सूची के लिए आईपीएस पद पर पदोन्नति इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर होगी। जिसके बाद मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करके डीएसपी जोगिंदर की दी दलीलों पर सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर इस दौरान प्रमोशन हो जाती है तो यह प्रक्रिया हाईकोर्ट के इस केस में अंतिम फैसले पर निर्भर रहेगी।

बता दें कि जोगिंदर शर्मा हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार में DSP बने थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब प्रमोशन प्रक्रिया लटकने के आसार बन गए हैं। दायर पिटीशन में जोगिंदर शर्मा ने कहा था कि IPS अफसर प्रमोट किए जाने वाले 12 अफसरों में मेरा नाम शामिल नहीं है। योग्य होने के बावजूद उनका नाम प्रमोशन की लिस्ट में नहीं डाला गया।

डीएसपी जोगिन्दर शर्मा ने हाईकोर्ट में रखी यह दलीलें

1 . 2009 वाले अफसरों पर विचार, मेरी जॉइनिंग 2007 की

DSP जोगिंदर शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर पिटीशन में कहा- “सरकार 2021 की सिलेक्शन लिस्ट के लिए IPS पद पर प्रमोशन के लिए स्टेट पुलिस सर्विस के 12 अधिकारियों के नामों पर विचार कर रही है। लिस्ट में शामिल अधिकांश DSP 2009 में राज्य पुलिस में शामिल हुए थे। इसके बावजूद उन्हें लिस्ट में शामिल नहीं किया गया जबकि वह 5 अक्टूबर 2007 को सेवा में शामिल हुए थे। नियमों के अनुसार सभी 11 DSP से पहले उन्होंने प्रोबेशन पूरी की थी। उनके साथ प्रमोशन को लेकर भेदभाव किया जा रहा है।”

2. ट्रेनिंग पूरी होने पर ही सेवा कन्फर्म, यह गलत

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में डीएसपी जोगिंदर सरकार ने तर्क दिया है कि राज्य अथॉरिटी ने लिस्ट में अवैध रूप से उल्लेख किया है कि ट्रेनिंग पूरी होने पर याची की सेवा कन्फर्म की जाती है। यह शर्त नियुक्ति पत्र एवं नियमों के विरुद्ध होने के साथ पूरी तरह से अवैध है। नियुक्ति पत्र या प्रासंगिक नियमों में ऐसा कोई भी उल्लेख नहीं है कि प्रोबेशन कन्फर्म के लिए ट्रेनिंग पूरी करना आवश्यक है।

3. सेवा में प्रवेश करने वाला ट्रेनी नहीं

याचिका के अनुसार, नियम 10 को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेवा में प्रवेश करने वाला कोई ट्रेनी नहीं है और उसे एक पूर्ण कर्मचारी के रूप में सेवा में शामिल किया गया है। प्रशिक्षण पूरा होने से पहले की याचिकाकर्ता की सेवा अवधि को सेवा से बाहर नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट से डीएसपी ने ये मांग रखी की 23 और 29 नवंबर के ऑर्डर को संशोधित करने और 5 अक्टूबर 2009 से DSP के रूप में उनकी सेवा कन्फर्म करने और उन्हें वरिष्ठता और पदोन्नति आदि सहित सभी परिणामी लाभ प्रदान करने के निर्देश देने की मांग की है।

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