Friday, May 17, 2024
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हरियाणा ने जीएसटी कलेक्शन में हासिल की उल्लेखनीय वृद्धि, दिसंबर 2023 में 8130 करोड़ रुपये का संग्रह कर बनाया रिकॉर्ड

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चंडीगढ़।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो प्रदेश के वित्तमंत्री भी हैं, के कुशल नेतृत्व में आबकारी एवं कराधान विभाग ने माल और सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। दिसंबर महीने में देश में एकत्रित सकल जीएसटी राजस्व 1,64,822 करोड़ रुपये है, जो पिछले साल के इसी महीने के जीएसटी राजस्व से 10.3% अधिक है। वहीं दिसंबर 2023 में हरियाणा में सकल जीएसटी संग्रह 8,130 करोड़ रुपये है, जबकि दिसंबर 2022 में यह 6,678 करोड़ रुपये था, जो 10.3% की राष्ट्रीय वृद्धि के मुकाबले 22% की वृद्धि को दर्शाता है। इस दौरान उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश में 5%, पंजाब में 8%, दिल्ली में 16% और जम्मू कश्मीर में 20% की दर से वृद्धि दर्ज की है।

आर्थिक प्रगति को दर्शाती है जीएसटी कलेक्शन में हुई वृद्धि

मनोहर लाल ने कहा कि आबकारी एवं कराधान विभाग ने दिसंबर महीने में जीएसटी संग्रह में असाधारण प्रदर्शन किया है, जिससे राज्य की आर्थिक सुरक्षा में मजबूती आई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी कलेक्शन में हुई ये वृद्धि प्रदेश की आर्थिक प्रगति को तो दर्शाती ही है, साथ ही यह राज्य के विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत भी है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि हम आगे भी ऐसे ही प्रगति करते रहेंगे और हरियाणा को आर्थिक और वित्तीय स्तर पर एक मजबूत राज्य बनाएंगे।

बजट लक्ष्य की प्राप्ति

इसके साथ ही आबकारी एवं कराधान विभाग ने पहली तीन तिमाहियों में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल बजट लक्ष्य का 80% सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है, जिससे आबकारी एवं कराधान विभाग की दक्षता साफ झलकती है। इस वर्ष का कुल बजट अनुमान 57,931 करोड़ रुपए है और 31 दिसंबर, 2023 तक विभाग ने विभिन्न मदों के तहत सफलतापूर्वक 46,349 करोड़ रुपए जमा किए हैं। इसके अलावा जीएसटी संग्रह में हरियाणा देश के शीर्ष 5 राज्यों में बना हुआ है। नवंबर 2023 में भी हरियाणा ने बड़े राज्यों में सबसे अधिक विकास दर दिखाई थी।

कलेक्शन का विवरण

कुल बजट अनुमान (2023-24) – 57,931 करोड़ रुपये।

31 दिसंबर 2023 तक कुल कलेक्शन – 46,349 करोड़ रुपये। (बजट अनुमान का 80%)

विभिन्न मदों के तहत 31 दिसंबर 2023 तक संग्रह:-

एसजीएसटी- 29,235 करोड़ रुपये (16.5% की वृद्धि)

उत्पाद शुल्क – 8,533 करोड़ रुपये (15.6% की वृद्धि)

वैट – 8,581 करोड़ रुपये।

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