सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति देने वाला करवा चौथ का व्रत इस साल 1 नवंबर 2023 को रखा जायेगा। इस व्रत को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन करने से ही इस व्रत का फल प्राप्त होता है। यदि आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने जा रही हैं तो इन नियमों को जरुर जान लें।
करवा चौथ व्रत के नियम
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला रखा जाता है। सूर्योदय से पहले व्रती एनर्जी से जुड़ी चीजों का सेवन कर सकती है।
इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजा करने की परंपरा है, लेकिन ऐसा करते समय रंगों का चयन करते समय विशेष ख्याल रखें। करवा चौथ व्रत में भूलकर भी काले या सफेद रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि इसे अशुभ मानाा गया है। करवा चौथ पर नारंगी, लाल, गुलाबी, पीले आदि रंग के कपड़े ही पहने।
करवा चौथ की पूजा सायंकाल से लगभग एक घंटा पूर्व उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण की ओर मुख करके करनी चाहिए। इसके बाद चंद्रोदय के समय उनका पूजन करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।
करवा चौथ व्रत वाले दिन इस व्रत से जुड़ी कथा को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अवश्य कहना या फिर सुनना चाहिए।
करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद सुहागिन महिला को अपनी सास को बायना देना चाहिए।
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यदि किसी कन्या का विवाह तय हो चुका है तो वह वह भी अपने होने वाले पति के नाम का करवा चौथ व्रत रख सकती है, लेकिन उसे चंद्र दर्शन की बजाय तारों को देखकर व्रत खोलना चाहिए।
करवा चौथ के दिन किसी पर क्रोध या किसी के साथ विवाद नहीं करना चाहिए। करवा चाैथ पर व्रत राने वाली महिला को किसी को अपशब्द या दिल दुखाने वाली बात भी नहीं बोलनी चाहिए।
करवा चौथ व्रत के दिन व्रत को खोलने के लिए बनाए गए भोजन में लहसुन-प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और इसे ग्रहण करने से पहले अपने पति को इसे खाने के लिए देना चाहिए।
करवा चौथ के दिन पूजा के बाद विशेष रूप से अपने माता-पिता या फिर उनके समान स्त्री या पुरुष और अपने पति का आशीर्वाद लेना चाहिए।