रोहतक। रोहतक स्थित नगर निगम कार्यालय में हटाए गए कर्मचारी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। करीब 550 कर्मचारी ठेके पर लगे हुए थे, जिन्हें हटा दिया गया। साथ ही हटाए गए कर्मचारियों को हटाने से पहले के करीब 3 माह का वेतन भी नहीं मिला है। ऐसे में वे भुखमरी का सामना करने को मजबूर हैं। लेकिन उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हो रही।
इसी वजह से वेतन के लिए संघर्ष कर रहे नगर निगम कर्मचारी अब अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। वीरवार को वकील के साथ बैठक कर याचिका तैयार की जाएगी। साथ ही लेबर कोर्ट में निगम प्रशासन को कर्मचारियों की याचिका पर सात मई को जवाब देना है। इसके साथ ही निगम के हटाए गए कर्मियों ने बुधवार को निगम प्रांगण में धरना शुरू कर दिया।
नगर निगम ने कचरा उठान, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, सड़कों की सफाई का कार्य ठेके पर दे रखा था। पिछले ठेकेदार ने टेंडर खत्म होने के बाद 31 मार्च से ड्यूटी खत्म कर दी थी। निगम ने दूसरा ठेका किया, जिसमें मात्र 200 कर्मचारियों लिया गया। 300 कर्मचारियों न जनवरी, फरवरी व मार्च माह का वेतन मिला और अब बेरोजगार हैं। जो कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं, उनको भी वेतन नहीं मिल रहा है।
ठेकेदार का तर्क है कि निगम ने उसकी राशि रोक रखी है। जबकि निगम आयुक्त का कहना है कि मामला अदालत में चल रहा है। कोर्ट से स्टे ऑर्डर जारी हैं। इसी खींचतान का खामियाजा सफाईकर्मी भुगत रहे हैं। इसके चलते नगर निगम कर्मी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा की रोहतक इकाई के अध्यक्ष संजय बिड़लान ने कहा कि नगर निगम रोहतक की सीमा में करीब 550 कर्मचारी ठेके के माध्यम से सफाई कर्मचारी का काम करते थे। जिन्हें 31 मार्च को कंपनी ने हटा दिया। लगभग 3 महीने का बकाया वेतन भी नहीं दिया। उन्होंने वेतन दिलाने के लिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन कोई हल नहीं निकला। बकाया वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारी भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
स्थिति यह है कि परचून के दुकानदारों ने उधार सामान देना भी बंद कर दिया है। जिस कारण परिवार का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया। ऊपर से कर्मचारियों का रोजगार भी छीन लिया। उन्होंने कर्मचारियों का वेतन दिलाने व रोजगार का प्रबंध करने की मांग की।धरने के साथ-साथ निगम कर्मियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। इसके लिए वीरवार को वकील के साथ बैठक कर याचिका तैयार की जाएगी। लेबर कोर्ट में एक मई को अर्जी दी थी, जिस पर सात मई को निगम प्रशासन से जवाब मांगा गया है।