Saturday, May 18, 2024
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बढ़ते वायु प्रदूषण से इंसान ही नहीं पशुओं में भी बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले, रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे

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लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे शोध में यह बात सामने है कि पशुओं में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। डॉ. तरुण की अध्यक्षता में चल रहे रिसर्च में पाया गया कि पहले पशुओं की मौत के कारणों पर गौर नहीं करते थे।

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हिसार। बढ़ते वायु प्रदूषण से इंसान ही नहीं पशु भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे शोध में सामने आया है कि जहरीला स्मॉग पशुओं का दूध भी कम कर रहा है। पिछले दस दिन से चल रहे प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण पशुओं को तनाव हो रहा है। लंबे समय तक ऐसा रहा तो उनके खानपान तथा पाचन पर भी असर पड़ेगा। केंद्रीय भैंस अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के चलते दूध उत्पादन पर 5 से 6 प्रतिशत तक का प्रभाव हो रहा है। खुले में चरने वाले पशुओं में दूध उत्पादन की गिरावट अधिक है।

दुग्ध उत्पादन में गिरावट

प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार अत्याधिक प्रदूषण वाला मौसम मनुष्यों के अलावा पशुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। देश की सबसे बेहतरीन नस्ल मुर्राह के दूध उत्पादन पर इसका असर दिख रहा है। कुछ पशु पालकों ने पशु वैज्ञनिकों को भैंसों के दुग्ध उत्पादन में गिरावट की शिकायत भेजी है। जिसके बाद हरियाणा के पशु पालन विभाग तथा केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र ने इस पर ब्योरा जुटाना शुरू किया है।

पशुओं के व्यवहार में भी बदलाव

खुले में चरने वाली भैंसों में प्रदूषण का असर अधिक है। जिसमें 6 प्रतिशत तक की दूध की गिरावट आ रही है। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस खासा ने बताया कि जिले के ग्रामीण एरिया से पशु पालकों से दूध उत्पादन प्रभावित होने की शिकायतें मिली हैं। प्रदूषण के कारण पशुओं के व्यवहार में भी बदलाव हो सकता है। पशु पालक को अपने पशुओं को बाहर रखने के बजाय अंदर रखने को प्राथमिकता देनी चाहिए। हरा चारा के अलावा कुछ मात्रा में गुड़ देने से पशुओं को प्रदूषण से लड़ने में मदद मिलेगी।

भैंसों को भी आ रहे हार्टअटैक

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे शोध में यह बात सामने है कि पशुओं में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। डॉ. तरुण की अध्यक्षता में चल रहे रिसर्च में पाया गया कि पहले पशुओं की मौत के कारणों पर गौर नहीं करते थे। अब भैंसों की मौत के बाद उनका भी पोस्टमार्टम कर रहे हैं। लुवास में इको कोर्डियोग्राफी मशीन से भैंसों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है।

भैंसों पर भी मौसम के प्रदूषण का असर

प्रदेश में करीब 43 लाख से अधिक भैंस, 19 लाख गाय, 28 लाख भेड़, 33 लाख बकरी हैं। वर्ष 2019 में कराई गई पशुगणना के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक 426486 भैंस हिसार में हैं। हिसार में केंद्रीय भैंस अनुसंधान, लुवास, राजकीय पशुधन फार्म में भी हजारों की संख्या में भैंस है। हिसार केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. टीके दत्ता के अनुसार भैंसों पर भी मौसम के प्रदूषण का असर देखा जा रहा है। फिलहाल हमने हमारे संस्थान में उपलब्ध 600 से अधिक भैंसों पर इसका असर पाया है। अगर प्रदूषण का स्तर लंबा रहा तो इसका व्यापक असर हो सकता है। इस बारे में अभी विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ है। प्राथमिक आकलन के अनुसार पशुओं में दूध की मात्रा पर इसका प्रभाव हो रहा है।

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