रोहतक। किसानों पर इस समय बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के कारण खराब हुई फसल की तो मार पद ही रही है इसके अलावा उन पर दोहरी मार पड़ रही है। जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाया हुआ था, उनसे खराब फसल के फार्म भरवाए जा रहे हैं। जिसके लिए किसानों को लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। किसानों को बार बार कृषि विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। यही नहीं 72 घंटे के अंदर फसलों के नुकसान का ब्योरा किसानों को खुद कृषि विभाग में देना होता है। इस वजह से उन्हें कई-कई घंटे लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है।
पिछले कई दिन से हरियाणा में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि तेज हवा के कारण रोहतक जिले में भी सरसों और गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो गई है। मौसम की इस मार से किसानों को 50 से 100 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है। अपनी फसल के नुकसान की भरपाई के लिए किसान पिछले 2 दिनों से रोहतक कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं क्योंकि फसलों के नुकसान का ब्योरा 72 घंटे के अंदर विभाग को देना होता है, तब जाकर मुआवजे की उम्मीद लगाई जाती है। रोहतक में पिछले दो दिनों के दौरान कृषि विभाग के पास 1000 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। अब केवल एक दिन बचा है। ज्यादातर किसान ऐसे हैं जिन्हें फार्म ही भरना नहीं आता। मुआवजा लेने के लिए पुरुषों के साथ ही महिला किसान भी लाइन में लगी हुई नजर आ रही हैं।
सबसे बड़ी बात यह भी है कि जिन किसानों की सरसों की फसल में नुकसान हुआ है और उन्होंने बीमा भी करवाया हुआ है, उनके फार्म भी स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। जिसके पीछे विभागीय तर्क है कि सरसों की कटाई चल रही है। कटाई के सर्वे के आधार पर ही किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। इसलिए फार्म नहीं लिए जा रहे। किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश से गेहूं और सरसों की फसल में 90 से 100 प्रतिशत तक का नुकसान है। उनकी जो फसल खड़ी थी वह तेज हवा के कारण पूरी तरह से लेट गई है। उनमें जल भर गया, जिसकी वजह से गेहूं की फसल खराब हो जाएगी। वहीं सरसों की फसल में भी नुकसान हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले कई दिन से पूरे प्रदेश में बेमौसम बारिश के साथ तेज हवाएं चल रही हैं। जिससे किसानों की सरसों और गेहूं की फसल लगभग खराब हो गई है। किसानों का कहना है कि उन्हें लाइन में 2 से ढाई घंटे तक लगना पड़ता है। कृषि विभाग के कई काउंटर बंद मिलते हैं। किसानों का आरोप है कि जब उन्होंने अपनी फसल का इंश्योरेंस करवाया है तो यह जिम्मेदारी बीमा कंपनी की बनती है कि वो खेत में आए और नुकसान का आंकलन करे। लेकिन यहां तो खुद किसान को ही परेशान होना पड़ रहा है। रोहतक में 1000 से ज्यादा बीमा क्लेम के फॉर्म आ चुके हैं।
कृषि अधिकारी महावीर सिंह का कहना है कि 72 घंटे के अंदर ही नुकसान की जानकारी किसानों को विभाग को देनी पड़ती है। ऐसे में वो लाइन में खड़े अंतिम व्यक्ति का फॉर्म भी जमा करवाएंगे चाहे उसके लिए कितना भी वक्त क्यों ना हो जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने गिरदावरी के भी आदेश दिए हैं लेकिन कृषि विभाग में इंश्योरेंस कंपनी ही क्लेम देगी।