Sunday, May 19, 2024
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दिल्ली AIIMS के डॉक्टर्स बने भगवान, बच्चे के फेफड़े से ऐसे निकाल लाये सिलाई मशीन की सुई

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नई दिल्‍ली स्थित AIIMS के पीडियाट्रिक्स विभाग में यह अनूठी सर्जरी की गई। ऊपर सर्जरी के पहले और बाद का एक्सरे देखकर समझ सकते हैं कि सुई कितनी गहराई में फंसी थी। एम्स के मुताबिक, परिवार इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सका कि बच्चे के फेफड़े में सुई कैसे गई।

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नई दिल्‍ली। दिल्ली AIIMS में एक बार फिर साबित हो गया कि डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता, डॉक्टरों ने सात साल के बच्चे की छाती से जुगाड़ सर्जरी कर कपड़े सिलने वाली चार सेंटीमीटर लंबी सुई को निकाल दिया और मासूम की जान बचा ली। बताया जा रहा है कि खेल-खेल में बच्चा इस सुई को निकल गया था। सुई खाने के बाद बच्चे को बुखार आया। बुखार के साथ खांसी  भी हुई, जिसमें खून आया। मां को यह सब अजीब लगा और तुरंत उसे अस्पताल लेकर आए, जहां एक्सरे करने पर छाती में एक चार सेंटीमीटर की सुई दिखाई दी।

यह देखकर डॉक्टरों के होश उड़ गए। सुई छाती को अंदर से लगातार घायल कर रही थी, उसे तुरंत निकालना जरूरी था, नहीं तो बच्चे की मौत तक हो सकती थी। बच्चे को पहले एक निजी अस्पताल में लाया गया। वहां से एम्स रेफर कर दिया गया। यह सुई बच्चे के फेफड़े में लेफ्ट साइड में फंस गई थी, जिस कारण उसे दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों ने चुम्बक का इस्तेमाल करते हुए सर्जरी और सुई को निकाल दिया और उसे जीवन दान दिया।

बताया जा रहा है कि नई दिल्‍ली स्थित AIIMS के पीडियाट्रिक्स विभाग में यह अनूठी सर्जरी की गई। बच्चे के फेफड़े में सिलाई मशीन की सुई फंस गई थी। लगातार खांसी के साथ खून आ रहा था। बच्‍चे की हालत बिगड़ती जा रही थी। जान पर खतरा बन आया था। दिक्कत यह थी कि सुई ऐसी जगह फंसी थी कि सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स के लिए बेहद कम स्‍पेस था। ऊपर सर्जरी के पहले और बाद का एक्सरे देखकर समझ सकते हैं कि सुई कितनी गहराई में फंसी थी। इसके बाद एम्स के डॉक्‍टर्स ने जुगाड़ लगाया।

चांदनी चौक की दुकान से चुंबक लाया गया। बड़ी सावधानी से, चुंबक की मदद से सुई को बाहर खींच लिया गया। ऑपरेशन थिएटर में तालियां गूंज उठीं। एम्स की जुगाड़ सर्जरी से 7 साल के मासूम को नई जिंदगी दी। इसके बाद डॉक्टरों की सलाह के बाद उसे बृहस्पतिवार को एम्स लाया गया। यहां शुक्रवार को हुई बच्चे की सर्जरी होने के बाद शनिवार को छुट्टी दे दी जाएगी। बच्चा पूरी तरह से ठीक है।

डॉ. विशेष जैन और डॉ. देवेंद्र कुमार यादव के अनुसार  AIIMS में टीम समझ गई कि सुई निकालना इतना आसान नहीं। सुई फेफड़ों के भीतर गहराई तक पहुंच गई है। यह उस हिस्से को नुकसान पहुंचा रही है। उसे परंपरागत तरीकों से निकाल पाना लगभग असंभव था। आपस में खूब चर्चा हुई। उसी शाम डॉ. जैन ने अपने किसी करीबी को बोलकर चांदनी चौक से एक तगड़ा चुंबक मंगवाया। 4 मिलीमीटर चौड़ाई और 1.5 मिमी मोटाई वाला यह चुंबक परफेक्ट औजार साबित हुआ।​

सर्जिकल टीम और उनके टेक्निकल ऑफिसर, सत्‍य प्रकाश के बीच लंबी चर्चा हुई। ट्रेकिया या श्वास नली को नुकसान पहुंचाए बिना चुंबक को सुई वाली जगह तक ले जाना था। टीम ने जुगाड़ के जरिए खास तरह का सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट बनाया जिसके एक सिरे पर धागे और रबड़ बैंड की मदद से चुंबक बांधा गया। सर्जरी से पहले इसे स्‍टेरलाइज किया गया ताकि इन्‍फेक्‍शन का चांस न रहे।

मरीज को एनेस्थीसिया देकर टीम ने एंडोस्‍कोपी शुरू की। उन्‍हें समझ आया कि सुई की नोक फेफड़े में धंसी हुई थी। इस गहराई तक परंपरागत सर्जिकल औजारों का पहुंचना बेहद मुश्किल होता। चुंबक को फेफड़े में उतारा गया। सुई पर चुंबक का जादू चल गया और वह छिपी हुई जगह से बाहर निकलते हुए चुंबक से जा चिपकी। कड़ी मेहनत के बाद चुंबकीय बल की मदद से सुई को निकाला गया। सुई बाहर आते ही टीम ने राहत की सांस ली। ​

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