Thursday, May 2, 2024
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हरियाणा में 2 लाख लेता डॉक्टर गिरफ्तार, FIR न करवाने के लिए मांगे पैसे

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पानीपत। हरियाणा के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने पानीपत के एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर को 2 लाख रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉक्टर से खुलासा हुआ है कि ये रुपए सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और क्लर्क तक पहुंचाए जाने थे। फिलहाल दोनों आरोपी डॉक्टर व क्लर्क फरार हैं। जिनकी धरपकड़ में टीमें जुटी हुई हैं।

एंटी करप्शन ब्यूरो की कैथल और अंंबाला की संयुक्त टीम ने पानीपत के एक निजी अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल मलिक को दो लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। स्वास्थ्य विभाग के पीएनडीटी प्रभारी डॉ. पवन कुमार और क्लर्क नवीन कुमार फरार हैं। आरोप हैं कि इन्होंने डॉ. विशाल मलिक के माध्यम से छाबड़ा डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक से तीन लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम आरोपी को दोपहर बाद कोर्ट में पेश करेगी।

अंबाला एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम के अनुसार, पानीपत के आधार अस्पताल के संचालक डॉक्टर विशाल मलिक, सिविल अस्पताल के डॉक्टर पवन कुमार और क्लर्क नवीन कुमार ने बरसत रोड पर चल रहे इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर का जनवरी 2024 में निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान तीनों ने शिकायतकर्ता पर FIR दर्ज न करवाने व जारी किए गए नोटिस को फाइल करवाने के बदले में रिश्वत मांगी थी। तीनों के खिलाफ करनाल एसीबी थाना में IPC 384, 120बी और 7/ 7A करप्शन के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।

यह है पूरा मामला

बरसत रोड स्थित छाबड़ा डायग्नोसिस सेंटर के संचालक ने एंटी करप्शन ब्यूरो के एसपी राजेश फौगाट को शिकायत दी थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि आरोपी डॉ. विशाल मलिक का बरसत रोड पर आधार अस्पताल है। कई सालों पहले मलिक ने बरसत रोड पर ही अपने दोस्त का इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर खुलवाया था। इस सेंटर संचालक की पत्नी आरोपी विशाल के अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत है। शिकायतकर्ता डॉक्टर मूल रूप से कैथल के कलायत का रहने वाला है। जिसके सेंटर पर जनवरी 2024 में पानीपत सिविल अस्पताल के SMO एवं लिंग जांच के खिलाफ कार्रवाई करने वाली टीम के इंचार्ज डॉक्टर पवन कुमार ने रेड की थी। यहां शिकायत थी कि लिंग जांच कर भ्रूण लिंग के बारे में बताया जाता है।

आधार अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल मलिक

कार्रवाई करने का दबाव बना रहे थे

रेड करने के बाद यहां सेंटर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसके बाद सेंटर संचालक पर बड़ी कार्रवाई करने का दबाव बनाया जा रहा था। कार्रवाई न करने पर 3 लाख रुपए की मांग की थी। उन्होंने रिकॉर्डिंग समेत अन्य सबूत पेश किए। इसके बाद आरोपी पवन, नवीन और विशाल के बीच साठ-गांठ हुई। विशाल के माध्यम से 2 लाख रुपए में डील हुई। सेंटर संचालक ने कैथल एसीबी को शिकायत देकर कहा कि उस पर रुपए देने का दबाव बनाया जा रहा है। इसके बाद मुख्यालय की ओर से एसडी ने कैथल और अंबाला एंटी करप्शन ब्यूरो की संयुक्त टीम बनाई। टीम में डीएसपी पवन और इंस्पेक्टर सूबे सिंह की देखरेख में कार्रवाई की।

रेड की डॉ. विशाल मलिक को लग गई थी भनक

एसीबी की संयुक्त टीम ने वीरवार देर शाम को बरसत रोड स्थित आधार अस्पताल के नजदीक पहुंची। शिकायतकर्ता ने बरसत रोड स्थित आधार अस्पताल में संचालक डॉ. विशाल मलिक को दो लाख रुपये देकर टीम को इशारा किया। रुपए देने के दौरान रेड की तो विशाल को भनक लग गई। उसने रुपए एक गत्ते के डिब्बे में फेंक दिए। टीम ने हाथ धुलवाए तो पानी गुलाबी हो गया। इसके बाद टीम ने डॉ. विशाल मलिक को दो लाख रुपये की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

PNDT प्रभारी डॉ. पवन

आरोपी ने कबूल किए आरोप

आरोपी डॉ. विशाल मलिक ने एसीबी के सामने आरोप कबूल किए हैं। उन्होंने बताया कि डॉ. पवन कुमार और क्लर्क नवीन कुमार ने उनको फोन कर पैसे रखने की कही थी। उनको इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। एसीबी की टीम ने आरोपी के खिलाफ तहसील कैंप थाना में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। एसीबी प्रभारी सूबे सिंह ने कहा कि आधार अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल मलिक को दो लाख रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉ. पवन कुमार और क्लर्क नवीन कुमार फरार हैं। डॉ. विशाल मलिक को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेने का प्रयास किया जाएगा।

दो साल में सिर्फ 5 रेड की

बता दें आरोपी PNDT प्रभारी डॉ. पवन ने दो साल में सिर्फ 5 रेड की है। सरकारी अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 से 2019 तक 60 रेड हुई थी। जिसमें अनेकों आरोपियों को भ्रूण जांच करते पकड़ा। कईयों को प्रतिबंधित दवाइयां बेचते हुए पकड़ा गया था। साल 2019-20 में कोरोना के चलते कार्रवाई न के बराबर रही।
साल 2021 में डॉ. अमित को इंचार्ज बनाया गया था। जिन्होंने 6 रेड की थी। 2022 और 23 में आरोपी डॉ. पवन को जिम्मेदारी दी गई। जिसमें 2 साल में सिर्फ 5 ही रेड की। इन रेड में कार्रवाई न के बराबर रही।

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