पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा बुलाई गई खुली बहस में विपक्षी दल राज्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए शामिल नहीं हुए। भाजपा ने इसे सरकार द्वारा प्रायोजित एवं नियंत्रित कार्यक्रम करार दिया। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने एक दिन पहले कहा था,यह कोई बहस नहीं है। यह प्रचार का एक हथकंडा है।
मुख्यमंत्री मान ने आठ अक्टूबर को विपक्षी नेताओं- भारतीय जनता पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़, पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के अलावा शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को सतलुज-यमुना से(एसवाईएल) नगर मुद्दे समेत राज्य से संबंधित मुद्दों पर एक नवंबर को खुली बहस की चुनौती दी थी।
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एसवाईएल नहर मुद्दे पर विपक्ष की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब में पिछली सरकारों, चाहे वह कांग्रेस की हो या अकाली दल की, ने इस मामले में राज्य के हितों से समझौता किया है। मान मंच पर अकेले थे और कोई विपक्षी नेता मौजूद नहीं था। मुख्यमंत्री ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज भी पेश किए।
मैं पंजाब बोलदा हूं शीर्षक यह खुली बहस पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक सभागार में आयोजित की गई। इससे पहले, विभिन्न शिक्षक संगठनों के कुछ सदस्यों को बहस स्थल तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि क्रांतिकारी किसान संघ के सदस्यों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। भाजपा ने कहा कि वह बहस में हिस्सा लेना चाहती थी लेकिन उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।