Saturday, May 18, 2024
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हरियाणा के स्कूलों में बच्चों को मिलेगा बेहतर मिड डे मील, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

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हरियाणा के सरकारी स्कूलों में दिए जाने वाले मिड-डे-मील की अब हर महीने प्रयोगशाला में जांच होगी, खाने की गुणवत्ता खराब मिली तो बड़ी कार्रवाई की जाएगी, मौलिक शिक्षा निदेशक ने निर्देश जारी किये हैं।

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चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता पर अकसर सवाल उठते रहे हैं। खाने में छिपकली, चूहे या फिर कीड़े-कॉकरोच मिलने के मामले आए दिन सामने आते हैं। कई बार तो फफूंद लगा भोजन भी बच्चों को दिया जाता है जिसे खाकर वो बीमार हो जाते हैं। ऐसे में सरकार की काफी किरकिरी होती है। ऐसे मामलों में अब सरकार ने सख्त फैसला किया है, जिसकी वजह से बच्चों के खाने में सुधार होगा।

अब हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता की जांच विद्यालय शिक्षा निदेशालय स्तर पर की जाएगी। इसके तहत मिड-डे मील में बनने वाले भोजन की लैब में टेस्टिंग कराई जाएगी। स्‍कूल में खाने की गुणवत्ता खराब मिलने पर प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हर महीने इसकी रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाएगी। निदेशालय ने इस संदर्भ में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन गोयल को पत्र भेजकर निर्देश जारी कर दिए हैं।

मौलिक शिक्षा निदेशक ने सभी मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि महीने में एक बार विद्यालय प्रभारी या फिर मिड-डे-मील इंचार्ज भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की गई प्रयोगशाला में एक बार परीक्षण जरूर करवाएंगे। वहीं, स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म होते ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जुलाई के पहले सप्ताह में सभी स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने और विजेताओं को पुरस्कृत करने के निर्देश दिए हैं।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक व उच्च विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए चार हजार रुपये तथा माध्यमिक विद्यालयों को प्रति स्कूल दो हजार रुपये की राशि अलाट की गई है। पूरे प्रदेश में 2312 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को 92.48 लाख रुपये, 1026 उच्च विद्यालयों को 41 लाख और 2312 माध्यमिक विद्यालयों को 46.26 लाख रुपये जारी किए गए हैं।

शिक्षा सदन में कार्यरत क्लर्कों की ढीली कार्यशैली से शिक्षक और कर्मचारी परेशान हैं। क्लर्क फाइलों को दबाए बैठे रहते हैं तो आपरेटर व सहायक भी मनमानी करते हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. अंशज सिंह ने कार्यों का बंटवारा करते हुए साफ किया है कि कोई लिपिक या डाटा एंट्री आपरेटर उच्चाधिकारियों के पास फाइल लेकर नहीं जाएगा। शाखा अधिकारी ही उच्चाधिकारियों के पास फाइल लेकर जाएंगे और संबंधित मसले पर ब्रीफ नोट प्रस्तुत करेंगे।

डाटा एंट्री आपरेटर शाखा में डाक डायरी, रेड एंट्री तथा रिकार्ड कीपिंग का कार्य करेंगे। लिपिक डाटा एंट्री आपरेटर द्वारा पुट-अप की गई फाइलों की समीक्षा कर पूरा ब्योरा बनाकर सहायक को प्रस्तुत करेंगे। सहायक प्रस्ताव अधीक्षक को प्रस्तुत करेंगे। उप अधीक्षक व अधीक्षक इस पर अपनी टिप्पणी अंकित करेंगे। फिर शाखा अधिकारी ब्रीफ नोट के साथ फाइल उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत करेंगे।

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